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CG News Congress protests in Chhattisgarh and other states in the National Herald case
नई दिल्ली/रायपुर। नेशनल हेराल्ड मामले में जांच एजेंसी ED की ओर से अदालत में चार्जशीट दायर किए जाने के बाद कांग्रेस सड़क पर उतर आई है। ईडी की चार्जशीट में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता राहुल गांधी, इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा, सुमन दुबे सहित कई लोगों के नाम शामिल हैं। आपको बता दें कि दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में ED की ओर से चार्जशीट दायर की गई है। अदालत इस मामले में 25 अप्रैल को सुनवाई करेगी। 11 अप्रैल को ED ने दिल्ली, मुंबई और लखनऊ के संपत्ति रजिस्ट्रारों को नोटिस जारी किए थे, जहां एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्तियां हैं।

इधर, छत्तीसगढ़ में भी रायपुर सहित हर जिले और तहसील मुख्यालय में प्रदर्शन किया जा रहा है। रायपुर में दोपहर 12 बजे से ईडी कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन शुरू हो गया है, जिसमें पीसीसी चीफ सहित कांग्रेस कार्यकर्ता ED कार्यालय के बाहर जुटकर नारेबाजी कर रहे हैं। प्रदर्शन में पूर्व सीएम भूपेश, पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव और पूर्व राज्यसभा सांसद छाया वर्मा समेत कई कांग्रेसी वरिष्ठ नेता मौजूद हैं।

इसके अलावा जगदलपुर में कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन कर रहे कांग्रेसियों को पुलिस ने हटा दिया है। यहां सीएम साय और गृहमंत्री विजय शर्मा अफसरों की बैठक ले रहे थे। इसी दौरान NSUI कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाए। ED-CBI के खिलाफ नारेबाजी की। NSUI जिला अध्यक्ष विशाल खंबारी समेत अन्य को पुलिस थाने ले गई है।

वहीं, इस धरना प्रदर्शन से पहले छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि, राहुल गांधी के देशभर में सक्रिय होने, AICC अधिवेशन के फैसलों और इंडिया अलायंस की एकजुटता के बाद यह साफ था कि कोई ना कोई प्रतिक्रिया जरूर आएगी, लेकिन ईडी जैसी संस्था इस स्तर तक जाएगी, इसकी उम्मीद नहीं थी।

उन्होंने कहा कि ED और CBI ने अपनी सीमाएं लांघ दी है, 'चार्जशीट में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नाम डालकर कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन कांग्रेस कभी दबी है, ना दबेगी। पूरा देश उनके साथ खड़ा है।'
यह मामला नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ा है। साल 1938 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसकी स्थापना की। अखबार का मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) के पास था जो दो और अखबार छापती थी। ये अखबार थे हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज। 1956 में एजेएल को गैर व्यावसायिक कंपनी के तौर पर स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 से कर मुक्त कर दिया गया। कंपनी धीरे-धीरे घाटे में चली गई। कंपनी पर 90 करोड़ का कर्ज भी चढ़ गया। इसी बीच साल 2008 में वित्तीय संकट के बाद इसे बंद करना पड़ा, जहां से इस विवाद की शुरुआत हुई।