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CM Sai recalling tribal pride on Lord Birsa Munda birth anniversary
"जब मेरे माता-पिता ने मेरा नाम रखना चाहा तो उन्होंने भगवान विष्णु के नाम पर मेरा नाम रखा, हमारा जनजातीय समाज भगवान श्री राम के वनवास के दौरान दंडकारण्य आगमन का साक्षी है और भगवान श्री राम से गहरा अनुराग रखता है.." यह बातें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भगवान बिरसा मुंडा जयंती पर जनजातीय गौरव को याद करते हुए लिखीं।
सीएम साय ने लिखा, धरती आबा कहे जाने वाले भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय जब 15 नवंबर 2021 को लिया, तब यह घोषणा देश के करोड़ों नागरिकों और जनजातीय समाज की ओर से राष्ट्र नायक को सच्ची श्रद्धांजलि थी। केवल 24 साल की आयु में भगवान बिरसा मुंडा ने अपने साहस से उस ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी जिसका सूरज धरती पर अस्त नहीं होता था। अपने जीवनकाल में ही उन्हें भगवान श्रीकृष्ण का अवतार कहा जाने लगा था।
आज जनजातीय दिवस पर जब हमारे सामने बहुत सी चुनौतियां हैं। हम भगवान बिरसा मुंडा के जीवन से प्रेरणा लेकर इनका सामना कर सकते हैं। भगवान बिरसा मुंडा ने बचपन में ही रामायण और महाभारत की कथाएं सुनी थीं। उनके आरंभिक जीवन को गढ़ने में इन कथाओं का बड़ा योगदान था।
आज की तरह ब्रिटिश काल में भी ऐसी शक्तियां थीं जो सामाजिक ताना-बाना नष्ट करने की कोशिश कर रही थीं। भारत की एकता को नष्ट करने की कोशिश कर रही थीं जो जनजातीय समाज की पहचान समाप्त करने का प्रयास कर रही थी। भगवान बिरसा मुंडा ने इसका विरोध किया। भगवान श्रीकृष्ण की तरह ही उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए संकल्प लिया और समाज को एकजुट किया।
आज हमारे जनजातीय समाज को दो तरह से खतरा है। पहला खतरा आस्था पर चोट है। कुछ ऐसी शक्तियां हैं जो हमें अपने देवी-देवताओं से दूर करने की कोशिश कर रही हैं। हमारी जनजातीय समाज की श्रद्धेय माता शबरी ने तो शिवरीनारायण में कितने धैर्य से भगवान श्रीराम के आगमन की प्रतीक्षा की और जब वे आए तो इतनी भावविह्वल हुईं कि उन्होंने श्रीराम को मीठे बेर स्वयं चखकर खिलाए। यह आस्था का चरम उदाहरण है। ऐसी प्रेम, स्नेह और अनुराग की संस्कृति हमारी जनजातीय संस्कृति है जिसके नायक भगवान बिरसा मुंडा की आज जयंती है। दूसरा खतरा आयातित विचारों से है। माओवाद ऐसा ही विचार है जो लाखों लोगों की बलि लेकर पनपता है जो हिंसा पर भरोसा करता है। हमारी जनजातीय संस्कृति सद्भाव पर विश्वास रखती है।
मेलजोल और लोकतांत्रिक मूल्यों पर विश्वास करती है। समानता, स्वतंत्रता और भातृत्व जैसे आधुनिक आदर्शवाद के तत्वों के बीज हमारी जनजातीय संस्कृति में है। आइए प्रतिज्ञा लें कि अपनी सुंदर धरती को माओवाद से पूरी तरह मुक्त करेंगे।
भूमकाल विद्रोह का जब स्मरण करते हैं तो वीर गुंडाधुर के साहस और चातुर्य भरी रणनीति से हम सब चकित रह जाते हैं। हम भूमकाल का गौरव केवल इसलिए नहीं मानते कि वीर गुंडाधुर और उनके साथियों ने अतुलनीय साहस का परिचय दिया अपितु यह इसलिए भी है कि उन्होंने एक कुशल रणनीति से अपनी लड़ाई लड़ी। वीर गुंडाधुर ने अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष किया था। यह साम्राज्यवाद जनजातियों का आर्थिक शोषण करता था। बस्तर ने थोड़े से नमक के बदले न जाने कितने अमूल्य संसाधन लुटाए। अफ़सोस इस बात का है कि आजादी के बाद भी यह शोषण पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ था।
हमारी सरकार ने छत्तीसगढ़ में पीडीएस की व्यवस्था कायम की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना आरंभ की जिसमें अगले पांच सालों तक लोगों को निःशुल्क राशन दिया जाएगा। यह हमारे लिए गौरव की बात है कि शहीद वीरनारायण सिंह ने जनसामान्य की भूख की जो पीड़ा अपने समय में महसूस की, हमने छत्तीसगढ़ में यह सुनिश्चित किया कि कोई भी भूखा न सोए। प्रधानमंत्री जनमन योजना और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के माध्यम से हम तेजी से जनजातीय क्षेत्रों में विकास सुनिश्चित कर रहे हैं।
बस्तर और सरगुजा जैसे जनजातीय क्षेत्रों में हम तेजी से अधोसंरचना निर्माण तथा विकासपरक कार्य कर रहे हैं। जगदलपुर और अंबिकापुर को एयर कनेक्टिविटी मिल गई है। अब यहां पर्यटन की संभावनाओं को अपार विस्तार मिलेगा। जशपुर में टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने विशेष कार्य किए गए हैं। एयर और रोड कनेक्टिविटी बढ़ने से देश-दुनिया हमारी सुंदर जनजातीय संस्कृति और यहां के विपुल प्राकृतिक सौंदर्य का नजारा ले सकेगी। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ी संख्या में पैदा होंगे। इन क्षेत्रों में हम इको टूरिज्म और नैचुरोपैथी को भी बढ़ावा दे रहे हैं। भगवान बिरसा मुंडा के दिखाए रास्ते पर चलकर हम एक समृद्ध समतामूलक समाज के उनके सपनों को पूरा कर रहे हैं। आज जनजातीय गौरव दिवस के दिन जब हम अपने कार्यों का मूल्यांकन करते हैं तो इस बात का विशेष गौरव होता है और इससे जनजातीय क्षेत्रों के लिए और भी बेहतर कार्य करने का हमारा संकल्प पहले से ज्यादा मजबूत हो जाता है।