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Chhattisgarh HC comment while granting bail to the accused in POCSO case The girl was addicted to sex
बिलासपुर। रेप और POCSO एक्ट के तहत दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं है कि पीड़िता नाबालिग थीं। अदालत ने ये भी माना कि आरोपी और पीड़िता के बीच सहमति से यौन संबंध बने थे। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि 'पीड़िता को सेक्स की आदत थी'।
ट्रायल कोर्ट में व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376(2)(n) (एक ही महिला का बार-बार रेप करना) के तहत दोषी ठहराया गया था। साथ ही उसे 'प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस' (POCSO) एक्ट की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत भी दोषी बताया गया था।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, 12 जुलाई, 2018 को पीड़िता के पिता ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि 8 जुलाई, 2018 को पीड़िता ने कहा कि वो अपनी दादी से मिलने जा रही हैं। ये कहकर वो घर निकलीं। लेकिन उनके पिता जब वहां पहुंचे तो लड़की अपनी दादी के पास नहीं थी। उन्होंने आस-पड़ोस में तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला।
इसके बाद लड़की की एक दोस्त ने बताया कि, उसने पीड़िता और आरोपी को साथ में कहीं जाते हुए देखा था। ये भी पता चला कि आरोपी उसी दिन से अपने घर से लापता था। 18 जुलाई, 2018 को दोनों एक साथ पाया गया। पुलिस ने मामला दर्ज किया। ट्रायल कोर्ट ने माना कि पीड़िता नाबालिग थीं। इसके लिए पेश किए गए 'फर्स्ट क्लास मार्कशीट' पर ट्रायल कोर्ट ने पूरा भरोसा किया। इसमें पीड़िता की जन्म तिथि 10 अप्रैल, 2001 दर्ज की गई थी। आरोपी को दोषी ठहराया गया। व्यक्ति इसके खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा। उच्च न्यायालय ने उम्र साबित करने के लिए पेश किए गए सबूत को मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि पीड़िता को नाबालिग साबित करने के लिए ये सबूत पर्याप्त नहीं है।
आरोपी पहले ही लगभग छह साल की जेल की सजा काट चुका है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की एकल पीठ ने रिहाई का आदेश देते हुए कहा,
उसने (पीड़िता) सहमति दी थी। यहां तक की डॉक्टर ने भी अपने बयान में कहा कि उसे पीड़िता के शरीर पर और उसके निजी अंग पर कोई बाहरी या आंतरिक चोट नहीं मिली। सेकेंडरी सेक्सुअल ऑर्गन पूरी तरह से विकसित थे और वो (पीड़िता) सेक्सुअल इंटरकोर्स की आदी थी।
सेकेंडरी सेक्सुअल ऑर्गन, यौन लक्षणों को दिखाने वाले वैसे अंग होते हैं जो सीधे तौर पर प्रजनन की प्रक्रिया में शामिल नहीं होता।