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'Congress leaders could not muster the courage to join the last journey..' CM Sai's media advisor Pankaj Jha on journalist Mukesh Chandrakar murder case
रायपुर। सीएम के मीडिया सलाहकार पंकज कुमार झा ने अब तक पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के आरोपी सुरेश चंद्राकर को कांग्रेस से निष्कासित नहीं करने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कई प्रमुख नेता बस्तर में थे लेकिन वो अंतिम यात्रा में शामिल होने का साहस नहीं जुटा पाए।
पंकज कुमार झा ने एक्स पर पोस्ट जारी करते हुए कहा कि, बड़े ही दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि लगातार दुत्कारे जाने के बावजूद भी कांग्रेस ने 'चोर से कहो चोरी कर, गृहस्वामी से कहो जागते रह' की परिपाटी को छोड़ा नहीं है। बड़े ही दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि कांग्रेस के बड़े नेता द्वारा एक प्रखर पत्रकार का कत्ल किए जाने के बाद अन्य कांग्रेसियों द्वारा घडिय़ाली आसूं भी बहाये जा रहे हैं।
बड़े ही दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि कांग्रेस के एक विंग के प्रमुख, अनेक मामलों के प्रभारी रहे अपने नेता को गिरफ्तार होने के बाद भी कांग्रेस ने उसे पार्टी से निष्कासित नहीं किया है। बड़े ही दुःखी मन से कहना पड़ रहा है कांग्रेस ने एक प्रखर और मुखर पत्रकार का पहले न केवल बहिष्कार किया अपितु फिर कांग्रेस नेता ने उसकी बर्बर और नृशंस हत्या भी की।
बड़े ही दुख की बात है कि एक भ्रष्ट और अनपढ़ कांग्रेसी ठेकेदार बस्तर को लूट कर अरबों की जायदाद बना लेता है। कांग्रेस शासन में हेलीकॉप्टर से बारात लाता है। अपने भ्रष्टाचार का रौब गांठने बड़े-बड़े कांग्रेसी नेताओं से गलबहियां करता है। बड़े दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि जांच की दिशा भटकाने और अपनी पार्टी के अपराधी को बचाने कांग्रेस कूट रचना करने, गलत दस्तावेज जारी करने अर्थात् वर्षों पुरानी किसी अन्य कार्यक्रम की तस्वीर को भाजपा प्रवेश वाली तस्वीर बताने की घृणित कोशिश करते रंगे 'हाथ' पकड़ी गयी।
बड़े ही दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि ऐसे दुर्दात अपराधी के पीछे अपना 'हाथ' रख कर कांग्रेसी झूठ पर झूठ भी गढ़ती रही। बड़े ही दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि रायपुर में प्रेस के मित्रों ने जब श्रद्धांजलि सभा आयोजित किया, तब भी आरोपी राजनीतिक दल का एक नेता तक वहां नहीं पहुंचा दिवंगत पत्रकार को श्रद्धांजलि देने। बड़े ही दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि सांत्वना राशि आदि के विषय पर भी पूर्व मुख्यमंत्री के नाम वाले प्रोफ़ाइल से घटिया हरकत कराये जा रहे हैं जबकि आर्थिक सहायता और अन्य विषयों की घोषणा पहले ही हो चुकी है प्रेस वार्ता में। बस 'कितना, कैसे और किसे' आदि पर विचार किया जा रहा है।
ऐसा इसलिए क्योंकि उत्तर प्रदेश तक जा कर मुआवजे की घटिया राजनीति करना, प्रदेश में हजारों किसानों की हत्या पर मुंह तक नहीं खोलने, लेकिन लखीमपुर जा कर छत्तीसगढ़ का खजाना लुटा देने वाली घोषणा करने जैसा काम भाजपा सरकार नहीं करती है। प्राथमिकता पहले यह थी कि कांग्रेसी हत्यारे को पकड़ा जाय। शेष कार्य भी होना ही है क्योंकि यह साय जी का सुशासन है।
बड़े ही दुःखी मन से कहना पड़ रहा है कि जनता को अभी तक यह जवाब नहीं मिला है कि क्या दिल्ली में अपराधी अपने नेताओं के यहां तो नहीं गया था? प्रश्न यह है कि क्या पिछले माह भर का सीसीटीवी फूटेज सोनिया गांधीजी, जी के यहां का जारी किया जा सकता है? करना चाहिये ताकि षड्यंत्रों की परत खुले।
बड़े ही संतोष की बात है कि अपराधी कांग्रेस नेता सुरेश आज सलाखों के पीछे है और घोषणा अनुसार ही तय समय सीमा में चालान आदि प्रस्तुत करने की कोशिश में एजेंसियां लगी हैं। अत्यधिक संवेदना और पूरी दृढ़ता के साथ सरकार ने जिस तरह कारवाइयां की, उसकी देश भर में प्रशंसा हो रही है।
बड़े ही सुख की बात होगी जब कांग्रेस के बावजूद अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जायेगा। बड़े ही सुख की बात होगी जब आगे कभी कोई राजनीतिक गुस्ताख इस तरह मुकेशजी जैसे पत्रकार या रामअवतार जग्गी जैसे किसी नेता कार्यकर्ता की राजनीतिक हत्या करने का दुःसाहस नहीं कर पाये, ऐसा व्यवस्था की जाएगी।