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Court's break on principal promotion in Chhattisgarh: 2813 teachers face hurdles; Know the entire controversy
रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 30 अप्रैल को 2813 शिक्षकों को प्रिंसिपल के पद पर प्रमोट करने का आदेश जारी होने के बावजूद, कानूनी उलझनों के कारण उनकी पोस्टिंग अटकी हुई है। इस देरी का सबसे बड़ा नुकसान उन 437 से अधिक शिक्षकों को हुआ है जो बिना प्रिंसिपल बने ही रिटायर हो गए।
जानिए पूरा मामला ?
जानकारी के अनुसार, शिक्षा विभाग ने 'ई' और 'टी' संवर्ग के 2813 शिक्षकों को प्रिंसिपल पद पर पदोन्नत किया था। 'ई' संवर्ग के 1478 शिक्षकों का मामला हाई कोर्ट में लंबित होने के कारण उनकी पोस्टिंग रुकी हुई है, जबकि 'टी' संवर्ग के 1335 शिक्षकों की पोस्टिंग प्रक्रिया अब शुरू हुई है। सरकार ने इन शिक्षकों की पोस्टिंग के लिए जिलों से खाली पदों की जानकारी मंगाई है और अगस्त में ही काउंसलिंग के जरिए पोस्टिंग की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही है।
कानूनी लड़ाई की वजह
इस पूरे विवाद की जड़ एक रिटायर शिक्षक प्रकाश नारायण तिवारी की याचिका है, जिसमें उन्होंने मांग की है कि प्रिंसिपल के 65% पदों की जगह 100% पदों पर 'ई' संवर्ग के शिक्षकों की पोस्टिंग की जाए। हालांकि, डबल बेंच पहले ही यह फैसला दे चुकी है कि सरकार का 65% का कोटा सही है। सरकार ने 65% पद 'ई' संवर्ग के लिए, 25% 'लोकल बॉडी' कैडर के लिए और 10% सीधी भर्ती के लिए तय किए हैं। बावजूद इसके, इस मामले पर सिंगल बेंच में सुनवाई जारी है।
बढ़ती रिटायरमेंट, अधूरा सपना
प्रमोशन में देरी का सीधा असर शिक्षकों पर पड़ रहा है। जून तक 356 शिक्षक बिना प्रिंसिपल बने रिटायर हो गए थे। जुलाई में यह संख्या बढ़कर 437 तक पहुंच गई। इन शिक्षकों का प्रिंसिपल बनने और उसके लाभ लेने का सपना कानूनी लड़ाई की भेंट चढ़ गया। हर महीने दर्जनों शिक्षक रिटायर हो रहे हैं और यह कानूनी लड़ाई जितने दिन चलेगी, उतने और शिक्षक इस लाभ से वंचित होते जाएंगे।
प्रिंसिपल-विहीन स्कूल
छत्तीसगढ़ में एक दशक से प्रिंसिपल का प्रमोशन नहीं हुआ था, जिसके कारण प्रदेश के 3290 स्कूल बिना प्रिंसिपल के चल रहे थे। विभाग ने बड़ी मुश्किल से प्रमोशन की प्रक्रिया पूरी की थी। अगर यह मामला कोर्ट-कचहरी में न फंसा होता, तो अब तक 2813 स्कूलों को स्थायी प्रिंसिपल मिल गए होते।
कानून का 'पेंच' फंसाने वाले कौन?
जिन 11 शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर नियमों को चुनौती दी है, उनमें से कोई भी प्रमोशन सूची में शामिल नहीं था। शिक्षक संगठनों का आरोप है कि, ये ऐसे शिक्षक हैं जिनका प्रमोशन होने का कोई चांस नहीं था, फिर भी वे अनावश्यक रूप से इस मामले में बाधा डाल रहे हैं। उनकी याचिका को डिवीजन बेंच पहले ही खारिज कर चुकी है, लेकिन अब एक और सिंगल याचिका पर सुनवाई चल रही है।
फैक्ट फाइल
प्रदेश में 3576 प्रिंसिपल के पद खाली हैं।
कुल स्कूलों में से 75% प्रिंसिपल-विहीन हैं।
30 अप्रैल को 2813 प्रिंसिपल का प्रमोशन हुआ था, जिसमें 1478 'ई' संवर्ग और 1335 'टी' संवर्ग से थे।
कानूनी अड़चनों के कारण 437 से ज्यादा शिक्षक बिना प्रिंसिपल बने रिटायर हो चुके हैं।
फरवरी 2024 में शुरू हुई प्रक्रिया अब भी अधूरी है।