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DIGITAL ARREST: Supreme Court strict on virtual forgery, takes suo motu cognizance in case of digital arrest
DIGITAL ARREST: देश में बढ़ती ऑनलाइन ठगी, खासकर डिजिटल अरेस्ट जैसे मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। हाल ही में हरियाणा के अंबाला जिले में एक बुजुर्ग दंपती को 13 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर उनसे 1.05 करोड़ रुपये की ठगी की गई। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान में लिया है और केंद्र सरकार, सीबीआई, हरियाणा सरकार और अंबाला के एसपी साइबर क्राइम को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि यह केवल एक अकेला मामला नहीं है, बल्कि पूरे देश में इस तरह की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। अदालत ने कहा कि न्यायिक आदेशों का फर्जीवाड़ा, जजों के जाली हस्ताक्षर, सरकारी मुहरों का दुरुपयोग और आम नागरिकों, खासकर वरिष्ठ नागरिकों को डराकर ठगने जैसी घटनाएं न केवल कानून के शासन पर हमला हैं, बल्कि न्यायपालिका की गरिमा और लोगों के भरोसे को भी ठेस पहुंचाती हैं।
अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे अपराधों को केवल सामान्य साइबर ठगी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यह न्यायिक व्यवस्था और संस्थानों की साख पर सीधा प्रहार है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के अपराधों का पूरी तरह पर्दाफाश जरूरी है, और इसके लिए केंद्र व राज्य की एजेंसियों के बीच समन्वय बनाकर सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।
अंबाला के जिस मामले ने कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया, उसमें एक बुजुर्ग दंपती को खुद को सीबीआई अधिकारी बताने वाले साइबर ठगों ने वीडियो कॉल और फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए डरा-धमकाकर 13 दिनों तक मानसिक रूप से बंधक बनाए रखा। इस दौरान उनसे उनकी जीवनभर की जमा पूंजी 1.05 करोड़ रुपये हड़प ली गई। ठगों ने उन्हें कहा कि उनका नाम एक मनी लॉन्ड्रिंग केस में आ रहा है, जिससे बचने के लिए उन्हें "डिजिटल अरेस्ट" में रहना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय, सीबीआई, हरियाणा सरकार के गृह सचिव और अंबाला के एसपी साइबर क्राइम को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही अदालत ने अब तक हुई जांच की रिपोर्ट 27 अक्टूबर को अगली सुनवाई से पहले पेश करने का निर्देश भी दिया है। अदालत ने अटॉर्नी जनरल से भी इस मामले में सहयोग करने का अनुरोध किया है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि मीडिया लगातार इस प्रकार की घटनाओं को उजागर कर रहा है। 'नईदुनिया' ने “ऑनलाइन लुटेरा” अभियान के ज़रिए कई लोगों को जागरूक किया है, लेकिन इसके बावजूद साइबर ठगी के शिकार होने वालों की संख्या में कमी नहीं आई है। इसलिए अब समय आ गया है कि ऐसे मामलों पर देशव्यापी सख्त कार्रवाई की जाए।