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Deathly silence in Dharali: Life still buried under rubble even after 4 days; Broken roads became an obstacle in rescue, read full reports
नई दिल्ली। उत्तराखंड के धराली गांव में 5 अगस्त को दोपहर करीब 1:45 बजे आई भयंकर आपदा के 4 दिन बाद भी हालात बेहद खराब हैं। खीर गंगा नदी में बादल फटने से आई बाढ़ और मलबे ने सिर्फ 34 सेकंड में गांव का एक बड़ा हिस्सा बहा दिया। इस त्रासदी में अब तक 5 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 100 से 150 लोग अभी भी लापता हैं। इनमें से कई लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है।
राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा टूटी हुई सड़कें हैं। उत्तरकाशी से गंगोत्री तक की एकमात्र सड़क धराली से गुजरती है, जो कई जगहों पर टूट चुकी है। हर्षिल से धराली तक 3 किमी का रास्ता 4 जगहों पर 100 से 150 मीटर तक पूरी तरह खत्म हो गया है। इसके अलावा, भटवाड़ी से हर्षिल के बीच भी लैंडस्लाइड और एक पुल टूटने से रास्ता पूरी तरह बंद है।
मलबे को हटाने और लापता लोगों को खोजने के लिए हाई-टेक थर्मल सेंसिंग उपकरण और बड़ी जेसीबी मशीनों की सख्त जरूरत है। लेकिन ये सभी सामान पिछले 2 दिनों से 60 किलोमीटर दूर भटवाड़ी में ही फंसे हुए हैं। सड़क खुलने में अभी 3-4 दिन और लग सकते हैं, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन की गति धीमी हो गई है।
धराली गांव के करीब 80 एकड़ के इलाके में 20 से 50 फीट तक मलबा जमा है, जिसे हटाने के लिए सिर्फ 3 जेसीबी मशीनें ही उपलब्ध हैं।
हालात इतने मुश्किल होने के बावजूद भारतीय सेना, एनडीआरएफ (NDRF) और आईटीबीपी (ITBP) के जवान दिन-रात रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हैं। अब तक 274 से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। आईटीबीपी के मातली हेलीपैड से जरूरी सामान और राहत सामग्री को एयरलिफ्ट करके धराली तक पहुंचाया जा रहा है। खराब मौसम के कारण वायुसेना के चिनूक और अन्य हेलिकॉप्टर अभी पूरी तरह से काम नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन मौसम साफ होने पर बड़े स्तर पर रेस्क्यू की तैयारी है।
इस आपदा से बचे लोगों की कहानी रोंगटे खड़े कर देने वाली है। देहरादून के अस्पतालों में भर्ती घायलों की हालत बेहद गंभीर है। डॉक्टरों के मुताबिक, कई लोगों के फेफड़ों में कीचड़ भर गया है, पसलियां टूट गई हैं और गले में छोटे-छोटे पत्थर फंस गए हैं। डॉक्टरों को सर्जरी के दौरान मरीजों के शरीर से कीचड़, कंकड़ और रेत तक निकालने पड़ रहे हैं।