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Doctor accused of 7 deaths arrested He was practicing with fake degrees for 18 years salary was 8 lakhs per month had also performed operations in CG
दमोह। 7 मौतों का जिम्मेदार फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया। फर्जी डॉक्टर की गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से हुई है। आरोपी डॉक्टर ने पुलिस पूछताछ में स्वीकार कर लिया है कि उसके सभी डॉक्यूमेंट फर्जी हैं। डॉक्टर ने बताया कि उसने डॉक्यूमेंट्स एडिट किए हैं। उसकी कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्री पर पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के फर्जी हस्ताक्षर हैं।
दरअसल, दमोह के मिशन अस्पताल में लंदन के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एनजोन केम के नाम पर फर्जी डॉक्टर ने ढाई महीने में 15 हार्ट ऑपरेशन कर डाले। उस पर आरोप है कि दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच हुए इन ऑपरेशन में 7 मरीजों की मौत हो गई। इसका खुलासा तब हुआ जब एक मरीज के परिजन ने संदेह होने पर डॉक्टर की शिकायत की। इसके बाद मामला मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया। आयोग की टीम अभी दमोह में ही है।
इस मामले में पुलिस-प्रशासन की गंभीर लापरवाही भी सामने आई है। नरेंद्र ने मिशन अस्पताल में 30 एंजियोग्राफी व 20 एंजियोप्लास्टी की थीं। इन सर्जरी के दौरान 7 मरीजों की मौत हो गई। वह एक जनवरी को अस्पताल से जुड़ा और 12 फरवरी 2025 को बिना सूचना दिए फरार हो गया। जाते-जाते अस्पताल की 5 लाख की 'एल्यूरा मशीन' भी ले गया। खुलासे के बाद भी कलेक्टर-एसपी जांच की बात कहते रहे। हैरत की बात है कि आरोपी के खिलाफ एफआईआर भी रविवार रात 1 बजे की गई। क्योंकि सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की 3 सदस्यीय टीम दमोह पहुंचने वाली थी। तब तक आरोपी को फरार हुए 24 दिन बीत चुके थे।
इस बीच, आयोग की टीम ने सर्किट हाउस में कलेक्टर, एसपी, सीएमएचओ और दो मृतकों के परिजनों से बयान लिए। इसके बाद अस्पताल दस्तावेजों की जांच की। आयोग के सामने ज्योति रजक और रहीसा बेगम के परिजनों ने बताया कि बिना उचित जानकारी दिए इलाज किया गया।
सीएमएचओ मुकेश जैन ने मीडिया को बताया, फरवरी माह में मिशन अस्पताल में हुई सभी सर्जरी और डॉक्टर्स की जानकारी मांगी थी। लेकिन अस्पताल मैनेजमेंट ने डॉक्टर एन जॉन केम के बारे में नहीं बताया। 5 मार्च को रिपोर्ट कलेक्टर सुधीर कोचर को दी।
एक बार फिर मिशन अस्पताल से डॉक्टर के डॉक्यूमेंट मांगे। तब जो डॉक्यूमेंट दिए, उसमें बताया गया कि आरोपी डॉक्टर ने कोलकाता यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस और एमडी की डिग्री की है और कार्डियोलॉजी की डिग्री पॉन्डिचेरी से की है।
सभी डॉक्यूमेंट का वेरिफिकेशन करने के लिए हमने सागर मेडिकल कॉलेज को पत्र लिखा। उनका जवाब आया कि वहां कार्डियोलॉजिस्ट नहीं है। इसलिए जबलपुर मेडिकल कॉलेज से जांच की मांग कीजिए। 4 अप्रैल को जबलपुर मेडिकल कॉलेज टीम को जांच के लिए पत्र लिखा।
सीएमएचओ मुकेश जैन ने बताया, टीम ने जब डॉक्टर की डिग्री की जांच की तो उसमें पॉन्डिचेरी विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के हस्ताक्षर थे। इस बात का सत्यापन करने के लिए जब टीम ने गूगल पर पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी के हस्ताक्षर चेक करे तो डिग्री में मौजूद हस्ताक्षर और ओरिजिनल हस्ताक्षर में अंतर मिला। इससे स्पष्ट हो गया कि आरोपी डॉक्टर की कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्री भी फर्जी है।
डिग्री में संदेह का एक प्रमुख कारण यह भी था कि उसकी डिग्री में न तो एनरोलमेंट नंबर था और न ही रोल नंबर। जब इस बात की पुष्टि हो गई कि डॉक्टर के डॉक्यूमेंट फर्जी है तब जाकर टीम ने कोतवाली में आरोपी डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।
पुलिस डॉक्टर को पकड़ने के लिए साइबर टीम की मदद ली। उसकी मोबाइल लोकेशन उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में मिली। सोमवार सुबह टीम यहां से रवाना हुई। शाम करीब 4 बजे प्रयागराज पहुंची तो आरोपी का मोबाइल बंद मिला। इधर, दमोह साइबर टीम के राकेश अठया और सौरभ टंडन लोकेशन ट्रैस कर रहे थे। पता चला कि डॉक्टर ने प्रयागराज में एक व्यक्ति से बात की है। उसकी कॉन्टैक्ट लिस्ट में ये नंबर था।
पुलिस उस नंबर की लोकेशन पर पहुंची तो एक व्यक्ति चिकन बेच रहा था। पूछताछ में दुकानदार ने कुछ भी बताने से मना कर दिया। पुलिस ने सख्ती कर उसका मोबाइल चेक किया। उसमें आरोपी डॉक्टर से उसकी वॉट्सऐप चैटिंग मिल गई। पुलिस को डॉक्टर का सटीक पता मिल गया।
जानकारी के अनुसार, फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट अस्पताल द्वारा दिए गए घर में नहीं रहता था वह एक निजी होटल के लग्जरी रूम में रहता था। उसे इस अस्पताल में मोटे पैकेज पर रखा गया था। अस्पताल ने उसकी नियुक्त किसी एजेंसी के माध्यम से की थी।
मीडिया रिपोट्स के अनुसार, विक्रमादित्य यादव पिछले 18 साल से इस तरह का काम कर रहा था। वह देश के अलग-अलग हिस्सों में नौकरी कर चुका है। लेकिन किसी को उसके करतूत की भनक नहीं लगी। अगस्त 2006 में विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल का ऑपरेशन भी इसी फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट ने किया था।
दमोह एसपी के मुताबिक, नरेंद्र न तो नेशनल मेडिकल रजिस्टर में दर्ज है, न ही एमपी और आंध्र प्रदेश की मेडिकल काउंसिल में। उसकी एमबीबीएस डिग्री एक महिला के नाम पर और एमडी व डीएम की डिग्रियां भी फर्जी पाई गई। जांच के लिए बंगाल, पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश की यूनिवर्सिटीज को पत्र भेजे गए थे, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
फर्जी डॉक्टर को 8 लाख रु. मासिक वेतन पर भर्ती किया गया था। 43 दिन में उसने 25 हार्ट सर्जरी कीं, जिनमें 15 आयुष्मान योजना के तहत थीं। ओपीडी में एक भी केस दर्ज नहीं मिला। हर इमरजेंसी केस में 600 रुपए फीस और 50 हजार एडवांस वसूले गए। आरोपी ओटी में किसी पुरुष को घुसने नहीं देता था।
बरी निवासी कृष्णा पटेल ने बताया कि दादा का मिशन अस्पताल में इलाज कराया। यहां रिपोर्ट नहीं दी गई। जबलपुर में एंजियोग्राफी कराने पर फर्जीवाड़े का शक हुआ। पता चला कि आरोपी डॉक्टर नरसिंहपुर में भी तीन मौतों के बाद भाग गया था। 20 फरवरी को कलेक्टर-एसपी से शिकायत की थी। आरोपी ने बिलासपुर (छग) में भी हार्ट सर्जरी की थीं। सामने आया है कि नरेंद्र ने हैदराबाद में भी ऐसे ही ऑपरेशन किए थे।
मिशन अस्पताल की मैनेजर पुष्पा खरे ने आरोपी डॉक्टर का नंबर पुलिस को उपलब्ध करवाया था। साइबर सेल नंबर ट्रेस कर रही थी। मामला सामने आने के बाद भी पुष्पा लगातार डॉक्टर के संपर्क में थी। दोनों की 6 और 7 अप्रैल को बात हुई थी। पुष्पा ने पुलिस को बताया कि डॉक्टर ने कहा था, मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, जिसे जो करना है कर लो।
रविवार देर रात जब आरोपी के खिलाफ एआईआर दर्ज की गई तो उसने एसपी और कलेक्टर को एक मेल भेजा था। इसमें उसने खुद को विदेश में होने की बात कही और जांच में सहयोग का दावा किया। एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने बताया कि उसकी लोकेशन ट्रेस कर 3 टीमें रवाना की। इसके बाद उसे पकड़ लिया गया।
रात करीब 11:30 बजे पुलिस उसे दमोह लेकर पहुंची। यहां कंट्रोल रूम में एसपी श्रुतिकीर्ति सोमवंशी ने तड़के 4 बजे तक उससे पूछताछ की। एसपी श्रुतिकीर्ति ने बताया, डॉक्टर तबीयत खराब होने का बहाना कर रहा है। इस कारण उससे अभी कड़ाई से पूछताछ नहीं कर पा रहे हैं। दोपहर में आरोपी को न्यायालय में पेश करने के बाद उसे रिमांड पर लेंगे। उसके बाद सख्ती से पूछताछ करेंगे।
सीएमएचओ मुकेश जैन ने रविवार को कोतवाली थाना में डॉक्टर नरेंद्र जॉन पर एफआईआर दर्ज करवाई। दो अन्य को भी मामले में आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने सोमवार को ऑपरेशन के दौरान जान गंवाने वाले रहीसा बेगम के बेटे नबी बेग और शिकायतकर्ता कृष्णा पटेल के बयान लिए।
मिशन अस्पताल पर इससे पहले ह्यूमन ट्रैफिकिंग और धर्मांतरण के आरोप भी लग चुके हैं। फर्जी और 7 मौतों का मामला 4 अप्रैल को सामने आया, जब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की।
स्वास्थ्य राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा- 'इस संस्था पर धर्मांतरण के मामले भी दर्ज हैं, जिनकी भी जांच की जाएगी।' जांच दो स्तर पर एसपी ने बताया कि सात मौतों की जांच जबलपुर मेडिकल कॉलेज की कार्डियोलॉजी टीम करेगी, जबकि फर्जी डिग्रियों की जांच सीएमएचओ स्तर पर पूरी हो चुकी है।