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ED claims - Former CM had also signed the same documents as Kawasi
रायपुर। पूर्व मंत्री कवासी लखमा, जो अब आबकारी घोटाले में ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं, लगातार यह बयान दे रहे हैं कि वे अनपढ़ हैं। उनका कहना है कि इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है।
वहीं ईडी का कहना है कि लखमा के मंत्री बनने के बाद ही आबकारी नीति में बदलाव किया गया था, जिससे उन्हें और उनके सहयोगियों को सीधा लाभ हुआ। दस्तावेजों के अनुसार, तत्कालीन आबकारी सचिव अरुणपति त्रिपाठी और अन्य अधिकारियों ने मिलकर एक सिंडीकेट का गठन किया, जिसका प्रमुख उद्देश्य शराब व्यवसाय में भ्रष्टाचार और कमीशन का खेल था।
इसके अलावा, एफएल-10 लाइसेंस प्रणाली को बदलकर एफएल-100 लाइसेंस लाया गया, जिसके तहत तीन कंपनियों को शराब के वितरण का अधिकार दिया गया। इन कंपनियों ने शराब निर्माताओं से स्टॉक खरीदकर उस पर 10% का कमीशन जोड़कर सरकार को सप्लाई किया, जिससे सरकार को 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस भ्रष्टाचार का 60% हिस्सा सिंडीकेट के अन्य सदस्य और अधिकारियों को जाता था, और इसी पैसे का लेन-देन नेताओं से लेकर अधिकारियों तक के बीच हुआ।
ईडी के दस्तावेजों में यह भी दावा किया गया है कि जिन दस्तावेजों पर लखमा के हस्ताक्षर हैं, उनमें तत्कालीन मुख्यमंत्री के भी साइन हैं। इस पर अब एजेंसी मुख्यमंत्री की भूमिका की भी जांच कर रही है।