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Elephant carcass was found once in Surajpur chhatigarh cause of death unknown
Surajpur Elephant Death: सूरजपुर के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के सरहरी इलाके में फिर से एक बार हाथी (Elephant Death News) का शव मिला है। मौत का कारण अभी तक अज्ञात है। शव 5 दिन पुराना बताया जा रहा है। डीएफओ सहित वन विभाग (Forest Department) का अमला मौके पर मौजूद है। सूरजपुर और बलरामपुर जिले के सरहदी क्षेत्र में हाथी लगातार विचरण करते रहते हैं।
छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी संघर्ष, खासकर उत्तरी भाग में, पिछले एक दशक से चिंता का विषय रहा है। यह खतरा धीरे-धीरे मध्य क्षेत्र के जिलों में फैल रहा है। वन विभाग के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में राज्य में हाथियों के हमलों में 300 से अधिक लोग मारे गए हैं।
2022 में इसी महीने छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में एक नर हाथी का शव मिला था। तब यह जानकारी सामने आई थी कि खेतों की रखवाली के लिए ग्रामीणों ने बिजली का तार लगा रखा था। घुई वन परिक्षेत्र के ग्राम पकनी में नर हाथी का शव जंगल किनारे खेतों के पास पड़ा था। ग्रामीणों की सूचना पर कई घंटे बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची थी। हाथी के शरीर पर करंट के निशान मिले थे। मृत हाथी की उम्र करीब 20 से 22 साल के बीच थी। इससे पहले प्रतापपुर वन मंडल में अक्टूबर 2022 में भी एक मादा हाथी का शव मिला था। उस हाथी के चेहरे और सिर पर चोट के निशान मिले थे। तब कहा गया था कि किसी नर हाथी से हुई लड़ाई में उसकी मौत हुई है। वहीं इसस पहले करंट लगने से भी एक मादा हाथी की मौत हो गई थी।
इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किसानों ने गन्ने व अन्य फसल लगाई जाती हैं। इसको नुकसान से बचाने के लिए ग्रामीण कई स्थानों पर तारों की फेंसिंग कर करंट लगाते हैं। इस फेंसिंग की चपेट में आकर हाथियों की भी मौत हो जाती है। बता दें कि इस तरह फेंसिंग करने पर रोक है। फिर भी किसान इस तरह के उपाय करते हैं।
पिछले 6 सालों में ही बिजली करंट से 35 हाथी मरे हैं जो कि अभी तक बिजली करंट से मरे 78 हाथियों का 45 प्रतिशत होता है। 2001 से लेकर 2024 तक कुल 224 हाथियों की मौत हुई उनमे से 78 हाथी बिजली करंट से मरे हैं।
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