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Flipkart is embroiled in controversy again over objectionable ads featuring nude models and politicians.
नई दिल्ली। अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट (Flipkart) एक बार फिर विवादों में है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए उसके कथित आपत्तिजनक विज्ञापनों (Objectionable Ads) के स्क्रीनशॉट्स ने यूजर्स में नाराजगी फैला दी है। इन विज्ञापनों में न्यूड मॉडल्स, गांजा (hemp), बंदूक (gun) और नेकेड मैनिक्यून्स (naked mannequins) जैसी तस्वीरों के साथ ही राजनीतिक नेताओं योगी आदित्यनाथ और राहुल गांधी की तस्वीरों का इस्तेमाल दिखाया गया है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे स्क्रीनशॉट्स
Reddit और X (Twitter) पर कई यूजर्स ने इन विज्ञापनों के स्क्रीनशॉट साझा किए हैं। उनका कहना है कि सोशल मीडिया फीड पर स्क्रॉल करते समय अचानक ये “आपत्तिजनक ऐड्स” नजर आते हैं, लेकिन लिंक पर क्लिक करते ही असली प्रोडक्ट कुछ और निकलते हैं।
उदाहरण के तौर पर
विज्ञापन में बंदूक जैसी दिखने वाली चीज़ दिखाई जाती है, लेकिन क्लिक करने पर वेबसाइट पर टॉय गन खुलती है। “गांजा” वाले विज्ञापन पर क्लिक करने पर ड्राई फ्लॉवर्स या पॉट डेकोरेशन आइटम दिखते हैं। इसी तरह “न्यूड मॉडल्स” वाले ऐड्स भी कपड़ों या एक्सेसरीज़ से जुड़े प्रोडक्ट्स की ओर ले जाते हैं।
एक्सपर्ट्स ने बताया क्लिकबेट ट्रिक
डिजिटल मार्केटिंग विशेषज्ञों का कहना है कि फ्लिपकार्ट की यह रणनीति क्लिकबेट विज्ञापन (Clickbait Ads) का हिस्सा लगती है। इनमें आपत्तिजनक या चौंकाने वाले चित्रों का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए किया जाता है ताकि यूजर्स विज्ञापन पर क्लिक करें और वेबसाइट पर पहुंचे। क्लिक बढ़ने से ट्रैफिक और बिक्री दोनों में बढ़ोतरी होती है।
पहले भी उठ चुके हैं सवाल
यह पहला मौका नहीं है जब फ्लिपकार्ट विवादों में आया हो। इससे पहले भी यूजर्स ने प्लेटफॉर्म पर भ्रामक और अनुचित विज्ञापनों की शिकायत की थी। हालांकि, अब तक कंपनी की ओर से किसी तरह का आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
कंपनी की चुप्पी पर उठे सवाल
फ्लिपकार्ट की चुप्पी ने आलोचकों को और आक्रामक कर दिया है। उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि, “यदि विज्ञापन किसी थर्ड पार्टी मार्केटिंग एजेंसी द्वारा चलाए जा रहे हैं, तब भी फ्लिपकार्ट जैसी बड़ी कंपनी को निगरानी की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। ऐसे आपत्तिजनक ऐड्स भारतीय विज्ञापन मानकों का उल्लंघन हैं।” फिलहाल Advertising Standards Council of India (ASCI) या IT मंत्रालय की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन बढ़ते विरोध को देखते हुए उम्मीद है कि मामले की जांच शुरू हो सकती है।