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Former constable Saurabh Sharma case In front of the camera seizure of crores was changed to lakhs in the court
भोपाल। मध्यप्रदेश में परिवहन विभाग (MP RTO Scam) के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा (Saurabh Sharma) के खिलाफ जारी जांच ने एक नया मोड़ ले लिया है, जिसमें लोकायुक्त की जांच पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। मामले में गड़बड़ झोल का खुलासा तब हुआ जब दो दिनों पहले भोपाल (Bhopal) जिला अदालत में सौरभ शर्मा की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई हो रही थी। दरअसल, NDTV की रिपोर्ट के अनुसार सौरभ शर्मा ने विशेष न्यायधीश राम प्रताप मिश्र की कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी लेकिन इस ऑर्डर शीट में बताया गया है कि लोकायुक्त की ओर से डीएसपी स्तर के अधिकारी ने बताया है कि सर्च कार्यवाही के दौरान उन्हें 28 लाख 50000 नकद, 5 लाख से ज्यादा के आभूषण और 21 लाख से ज्यादा की चांदी यानी 55 लाख के करीब का सामान मिला है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या ये कोई लिपकीय गलती है, लापरवाही है या कुछ और क्योंकि कैमरे के सामने करोड़ों की जब्ती आखिर अदालत में लाखों की जब्ती में कैसे तब्दील हो गई ?
बता दें कि 4 दिनों पहले लोकायुक्त डीजी ने मीडिया से बातचीत में ₹7.98 करोड़ की नकदी, सोना और चांदी जब्त करने का दावा किया था। हालांकि, इसी मामले में कोर्ट में प्रस्तुत दस्तावेज़ों में जब्त संपत्ति की कीमत केवल ₹55 लाख दर्ज की गई है। यह विसंगति और जांच में कथित चूक इस कार्रवाई की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर रही हैं। ये इसलिए भी गंभीर है क्योंकि सौरभ शर्मा, जो परिवहन विभाग के पूर्व सिपाही हैं, उसके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ईडी ने भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में सात जगहों पर शुक्रवार को छापेमारी की थी। इसी ED की एंट्री के बाद लोकायुक्त पर और सवाल खड़े हुए हैं। सबसे पहला सवाल तो यही है कि क्या छापेमारी के दौरान सौरभ के कई अहम ठिकानों को नजरअंदाज किया गया?
उदाहर के तौर पर सौरभ शर्मा का एक और घर और उनके सहयोगी शरद जायसवाल के निवास पर लोकायुक्त की टीम गई ही नहीं। इसके अलावा, एक वो कार, जिसमें 52 किलो सोना और ₹11 करोड़ नकदी होने की बात कही जा रही है, पड़ोस से गुजरने के बावजूद जांच के दायरे में नहीं आई। यह कार बाद में मेंडोरी जंगल में लावारिस हालत में पाई गई।
सौरभ शर्मा के एक और घर और उनके सहयोगियों के ठिकानों की अनदेखी से लोकायुक्त जांच की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।19 दिसंबर को लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ शर्मा के घर (E-7/78) और कार्यालय (E-7/657) पर छापेमारी की, जिसमें ₹7.98 करोड़ नकद, चांदी, गहने और अन्य कीमती सामान बरामद करने का दावा किया गया। हालांकि, सौरभ के नजदीकी घर (E-7/71) पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जो महज 100 मीटर की दूरी पर है, जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि उस दिन यहां कुछ लोग आए थे। इसी तरह, शरद जायसवाल के घर (E-8/99) पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, जबकि उन्हें भी आरोपी बनाया गया है।
क्या यह लोकायुक्त की टीम की चूक थी या कोई और वजह थी? आयकर विभाग ने उसी रात एक कार से 52 किलो सोना और ₹11 करोड़ बरामद किए। यह कार चेतन सिंह के नाम पर पंजीकृत है, लेकिन बताया जाता है कि इसे सौरभ शर्मा ने खरीदा था। सीसीटीवी फुटेज में यह कार E-7 अरेरा कॉलोनी से निकलती दिखी। अब लोकायुक्त पुलिस की जांच की गहनता पर सवाल उठ रहे हैं, जिसमें दो डीएसपी, कई निरीक्षक और गवाह शामिल थे। 19 दिसंबर को लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ शर्मा के घर (E-7/78) और दफ्तर पर सुबह 7 बजे से छापा मारा। उसी दिन एक इनोवा कार, जिसमें 52 किलो सोना और ₹11 करोड़ नकद थे, सौरभ के घर से महज 50 मीटर दूर से गुज़री। सौरभ के घर के पास 2:06 बजे कार की सीसीटीवी फुटेज सामने आई, जो छापे के दौरान कार की नजदीकी को दर्शाता है।
कार चलाने वाले ड्राइवर की पहचान और उसकी भूमिका अब तक सामने क्यों नहीं आई? कार मालिक चेतन सिंह गौर ने आयकर विभाग को पूछताछ के दौरान बताया कि उसने इनोवा कार के लिए एक ड्राइवर को रखा था। हालांकि, यह साफ नहीं हो पाया है कि कार मेंडोरी के जंगल में कैसे पहुंची और उसे वहां कौन लेकर गया? कार चालक की पहचान और सोने से भरी कार को वहां छोड़ने में उसकी भूमिका अभी भी अज्ञात है। सौरभ के दफ्तर के सामने एक गाड़ी खड़ी थी जिसे लोकायुक्त ने छोड़ दिया था उसकी जांच में भी ईडी को कई दस्तावेज मिले।