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High Court strict on the death of two tigers and a leopard, sought personal affidavit from PCCF
छत्तीसगढ़ में दो बाघ और एक तेंदुए की मौत से जुड़ी हालिया घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने वन्यजीव शिकार के मामलों पर स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इस मामले को मार्च 2026 में प्रस्तावित अगली सुनवाई से पहले ही अचानक सूचीबद्ध कर लिया।
मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टों के आधार पर वन्यजीव संरक्षण
हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टों के आधार पर वन्यजीव संरक्षण को लेकर चिंता जताते हुए प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) से व्यक्तिगत शपथ पत्र में विस्तृत जानकारी तलब की है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि शिकार जैसी घटनाएं प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करती हैं।
सूरजपुर वनमंडल के घुई वन परिक्षेत्र अंतर्गत रेवती वन में 15 दिसंबर को एक बाघ का शव बरामद किया गया था। बाघ के शरीर पर गहरे चोट के निशान पाए गए थे, जबकि उसके दांत और नाखून गायब थे। इससे शिकार की आशंका जताई जा रही है। घटनास्थल के पास एक धारदार हथियार भी मिला है, जिससे नाखून और दांत निकालने की बात सामने आई है।
जांच के लिए गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और कानन पेंडारी चिड़ियाघर से स्निफर डॉग्स और विशेषज्ञों की टीम को बुलाया गया। वन विभाग इस मामले को गंभीर शिकार प्रकरण मानते हुए जांच कर रहा है।
बनबोद गांव के जंगल में एक वयस्क तेंदुए की बेरहमी से हत्या
इसी तरह खैरागढ़ और डोंगरगढ़ के बीच स्थित बनबोद गांव के जंगल में एक वयस्क तेंदुए की बेरहमी से हत्या कर दी गई। शिकारी तेंदुए के पंजे, नाखून और जबड़े के दांत निकालकर ले गए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मामला संगठित वन्यजीव तस्करी से जुड़ा हो सकता है।
प्रदेश में वन्यजीव शिकार की घटनाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर पिछली सुनवाई 10 दिसंबर को हुई थी। उस दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि शिकार का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। इसके बाद मामले की अगली सुनवाई मार्च 2026 के लिए निर्धारित की गई थी।
सुनवाई करते हुए पीसीसीएफ से जवाब मांगा
हालांकि मीडिया में इन नई घटनाओं के प्रकाश में आने के बाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को स्वतः सुनवाई करते हुए पीसीसीएफ से जवाब मांगा है। कोर्ट ने शपथ पत्र में अब तक हुई कार्रवाई, आरोपियों की गिरफ्तारी और शिकार रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं।
पिछले तीन वर्षों में प्रदेश में विभिन्न कारणों से छह बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें से कई मामलों में शिकार की पुष्टि हुई है। अब तक छह आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन बाघ के दांत अभी तक बरामद नहीं हो सके हैं।
प्रतापपुर क्षेत्र के भैंसामुंडा जंगल में करंट लगने से हुई बाघ की मौत
प्रतापपुर क्षेत्र के भैंसामुंडा जंगल में करंट लगने से हुई बाघ की मौत के मामले में जांच जारी है। इस प्रकरण में न्यायालय के आदेश पर पांच और आरोपियों को जेल भेजा गया है। इससे पहले परसडीहा गांव की महिला सरपंच सिसका कुजूर के घर से बाघ के नाखून और बाल मिलने पर उसे भी जेल भेजा जा चुका है।
जेल भेजे गए आरोपियों में दिनेश कुजूर (37), अभिषेक रोशन बड़ा (24), मिथलेश सिंह (24), रामनाथ सिंह (25) और भोला प्रसाद (46) शामिल हैं। वन विभाग का कहना है कि कुछ अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी भी जल्द हो सकती है।
हाई कोर्ट ने साफ संकेत दिए हैं कि वन्यजीव संरक्षण में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और मामले की कड़ी निगरानी की जाएगी।