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IICF announces construction of grand Muhammad bin Abdullah mosque to begin from this date
अयोध्या। रामलला का भव्य मंदिर बनने के बाद अब सभी का यह सवाल है की सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार अयोध्या में मस्जिद(Ayodhya masjid) कब बनेगा। तो बता दें इसका जवाब खुद इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ने दे दिया है। संस्था ने घोषणा की है कि इस साल मई के महीने से अयोध्या में एक भव्य मस्जिद का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। मस्जिद का नाम पैगंबर मोहम्मद के नाम “मस्जिद मुहम्मद बिन अब्दुल्ला”(Masjid Muhammed bin Abdullah) होगा। IICF ने कहा की इसका उद्देश्य धार्मिक मतभेदों से परे लोगों के बीच एकता और सद्भावना को बढ़ावा देना है। यह घोषणा इसलिए बड़ी मानी जा रही है क्योकि इसे ऐसे समय में किया गया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला के अभिषेक समारोह की अध्यक्षता की।
कब तक बनकर होगा तैयार ?
आईआईसीएफ(IICF) के वरिष्ठ अधिकारी हाजी अरफात शेख ने बताया कि इस निर्माण(Ayodhya masjid) में तीन से चार साल लगने की उम्मीद है। महत्वाकांक्षी परियोजना अयोध्या के शहर के दृश्य को फिर से परिभाषित करने और सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक के रूप में काम करने के लिए तैयार है।
मस्जिद के लिए क्राउडफंडिंग
निर्माण कार्य के लिए पैसो की कमी न हो इसके लिए आईआईसीएफ एक क्राउडफंडिंग वेबसाइट की स्थापना पर विचार कर रहा है। संस्था को उम्मीद है की देश और दुनिया भर के मुसलमान समुदाय के लोग इसमें (Ayodhya masjid)अपना योगदान करेंगे।
एकता का संदेश
शेख ने कहा कि, दुश्मनी को खत्म करने और लोगों के बीच प्यार को बढ़ावा देने के लिए फाउंडेशन की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। 1992 में बाबरी मस्जिद(Babri Masjid) विध्वंस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में व्यक्तिगत मान्यताओं के बावजूद, आईआईसीएफ का उद्देश्य "मस्जिद मुहम्मद बिन अब्दुल्ला" के निर्माण के माध्यम से समुदायों को एकजुट करना है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
बता दें कि, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2019 में बाबरी मस्जिद(Babri Masjid) के विध्वंस को गैरकानूनी घोषित कर दिया था। मस्जिद के नीचे एक गैर-इस्लामी संरचना की उपस्थिति को स्वीकार करते हुए, अदालत ने विवादित भूमि पर एक मंदिर के निर्माण का फैसला सुनाया था। इसके साथ ही अदालत ने मुस्लिम समुदाय के लिए मस्जिद बनाने के लिए जमीन का एक अलग टुकड़ा लगभग 5 एकड़ जमीन आवंटित किया। कोर्ट ने अपने फैसले में उस वक्त कहा कि, उत्तर प्रदेश सेंट्रल सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ की ज़मीन आवंटित की जाए। इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट बनाकर मस्जिद के निर्माण के लिए उसे ज़िम्मेदारी दी गई थी।
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