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JNU professor sacked for sexually harassing Japanese researcher Woman presents recordings as evidence
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय JNU के एक वरिष्ठ प्रोफेसर स्वर्ण सिंह को बर्खास्त कर दिया गया है। प्रोफेसर पर जापान से आई रिसर्चर से छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न का आरोप है। गुरुवार को विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इसकी जानकारी दी गई।
जेएनयू प्रशासन के मुताबिक यह घटना कुछ माह पहले की है जब विवि में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें जापान से एक रिसर्चर आई थी, जिसके साथ आरोपी प्रोफेसर ने गंदी हरकत की थी। रिसर्चर ने जापान वापस जाकर इसकी शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद दूतावास के माध्यम से यूनिवर्सिटी तक मामला पहुंचा था। जांच में प्रोफेसर को दोषी पाया गया और बर्खास्त कर दिया गया।
आरोपी स्वर्ण सिंह 2026 में सेवानिवृत होने वाले थे। ये फैसला यूनिवर्सिटी की कमेटी को दिए शिकायत के आधार पर जाँच के बाद बुधवार (16 अप्रैल 2025) को लिया गया। जेएनयू की कार्यकारी परिषद ने उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश की।
जेएनयू के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “जापानी महिला अधिकारी कॉन्फ्रेंस को लेकर प्रोफेसर के साथ नियमित संपर्क में थी। उन्होंने विश्वविद्यालय के आईसीसी (इंटरनल कंप्लेन कमिटी) में शिकायत दर्ज कराई और सबूत के तौर पर उनकी बातचीत की रिकॉर्डिंग पेश की।”
बता दें कि, प्रोफेसर स्वर्ण सिंह स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के एक सीनियर फैकल्टी मैंबर हैं। घटना मई 2024 की है। जापानी दूतावास की अधिकारी ने इसकी शिकायत जेएनयू प्रशासन से की। इसकी जाँच के लिए समिति बनाई गई। समिति को स्वर्ण सिंह के खिलाफ सबूत मिले थे। समिति ने भ्रष्टाचार के एक मामले में एक प्रोफेसर और दो सेक्शन अफसरों पर भी कार्रवाई की है।
जेएनयू प्रशासन ने इस मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि आरोपी प्रोफेसर पर इससे पहले भी कई तरह के गंभीर आरोप लगते रहे हैं, कई शिकायतों की जांच पहले से भी चल रही थी। विदेशी रिसर्चर के साथ इस तरह की हरकत बेहद गंभीर मामला है, विवि की आंतरिक जांच में इन आरोपों को सही पाया गया है, इसीलिए कार्रवाई की गई है।
जेएनयू की कुलपति शांति श्री धुलीपुडी पंडित ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जेएनयू प्रशासन यौन उत्पीड़न के आरोपियों और भ्रष्ट कर्मचारियों के प्रति किसी तरह की कोई नरमी नहीं बरतने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह बर्खास्तगी परिसर की सुरक्षा और जवाबदेही के लिहाज से की गई है। विवि की कार्यकारी परिषद ने आंतरिक जांच के बाद ये फैसला लिया गया है।
बताया गया है कि जापान की जिस रिसर्चर के साथ जेएनयू में गंदी हरकत हुई थी, उसने वापस जाकर जापाम में मामला दर्ज कराया था। औपचारिक शिकायत दर्ज होने के बाद राजनयिक तरीके से भारतीय दूतावास के सामने इस मुद्दे को उठाया गया। वहां से विदेश मंत्रालय होते हुए ये मामला विश्वविद्यालय तक पहुंचा। इसके बाद आंतरिक शिकायत समिति ने मामले की जांच की और आरोपों को सही पाया। कार्यकारी परिषद की बैठक में आरोपी प्रोफेसर को बर्खास्त किए जाने की सिफारिश की गई। अब आरेापी प्रोफेसर को विवि की अपदीलीय समिति के समक्ष अपील करने या अदालत की शरण लेने का विकल्प बचा है।
जेएनूय में एक भ्रष्टाचार का मामला भी सामने आया था, जिसमें एक अन्य संकाय के सदस्य पर शोध परियोजना में भ्रष्टाचार का आरोप था। अब इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया था। आंतरिक फैक्ट फाइडिंग कमेटी इस मामले में भी पहले ही दो गैर शिक्षण कर्मियों को बर्खास्त कर चुकी है।