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Jaitusav Math's land misappropriation exposed, demand for judicial inquiry raised
रायपुर। राजधानी रायपुर में जैतूसाव मठ ट्रस्ट से जुड़े बड़े पैमाने पर जमीन की हेराफेरी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पुरानी बस्ती के महंत रामआशीष दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ट्रस्ट के पदाधिकारियों पर जमीन के मामले में धोखाधड़ी करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने मठ की संपत्तियों को वापस दिलाने की मांग की है और मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।
महंत रामआशीष दास ने बताया कि, 1988 से 2007 तक मठ की जमीनों को अवैध तरीके से बेचा गया। धरमपुरा गांव में स्थित जैतूसाव मठ, हनुमान मंदिर और गोपीदास मंदिर की कुल 107 एकड़ जमीन को फर्जीवाड़ा कर बड़े लोगों को बेच दिया गया। महंत ने बताया कि, न्यायालय के आदेश के अनुसार 1 जनवरी 2025 को स्पष्ट किया गया था कि 1972 से महंत लक्ष्मीनारायण दास के नाम पर दर्ज भूमि उनकी मृत्यु के बाद मठ के नाम पर दर्ज होनी चाहिए थी, लेकिन 1988 से 2007 तक भूमि की बिक्री के लिए महंत लक्ष्मीनारायण दास के नाम का लगातार दुरुपयोग किया गया।
महंत रामआशीष दास ने आरोप लगाया है कि धरमपुरा और सेजबहार गांवों में करीब 60 एकड़ जमीन बेच दी गई, जबकि मठ की जमीन बेचने का अधिकार किसी को नहीं था। उन्होंने कहा कि, इस दौरान न तो प्रशासन और न ही ट्रस्टियों ने कोई कार्रवाई की।
मुख्य महंत ने कहा कि, 1988 से 2007 तक जैतूसाव मठ की संपत्ति का कोई हिसाब नहीं है। उन्होंने मांग की है कि अवैध रूप से बेची गई जमीनों को मठ के नाम पर फिर से दर्ज किया जाए। साथ ही उन्होंने पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की ताकि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।
महंत रामआशीष दास द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस ने रायपुर में हलचल मचा दी है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।