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Jharkhand liquor scam: ACB takes major action, IAS Vinay Chaubey arrested
रांची। झारखंड से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां बहुचर्चित शराब घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय चौबे को गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि उत्पाद सचिव रहते हुए उनके कार्यकाल में गंभीर अनियमितताएं हुईं, जिनकी जांच लंबे समय से चल रही थी। गिरफ्तारी से पहले ACB मुख्यालय में विनय चौबे से घंटों पूछताछ की गई। इसी कड़ी में वर्तमान संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को भी तलब किया गया है और उन्हें कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों के साथ पेश होने के निर्देश दिए गए हैं। यह कार्रवाई राज्य की नौकरशाही और प्रशासनिक पारदर्शिता को लेकर कई सवाल खड़े कर रही है।
बता दें कि, शराब घोटाले की परतें खुलती जा रही हैं। शुरुआत में यह मामला छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में दर्ज हुआ था, लेकिन जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, झारखंड का नाम भी सामने आया। इसके बाद झारखंड की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने राज्य सरकार की अनुमति लेकर प्राथमिक जांच (Preliminary Enquiry) शुरू की। शुरुआती साक्ष्यों के आधार पर अब ACB ने इस मामले में नियमित एफआईआर दर्ज कर ली है। इसी कड़ी में आज ACB की टीम ने IAS अधिकारी विनय चौबे को पूछताछ के लिए बुलाया है और उन्हें अपने साथ लेकर पूछताछ की जा रही है।
छत्तीसगढ़ में चल रहे शराब घोटाले की जांच के सिलसिले में ED ने IAS अधिकारी विनय चौबे को समन जारी कर पूछताछ के लिए तलब किया था। पूछताछ के दौरान चौबे ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि, नई उत्पाद नीति सरकार की मंजूरी से लागू की गई थी, और इसमें उनकी कोई व्यक्तिगत भूमिका या गलती नहीं है। वहीं, इस मामले ने नया मोड़ तब लिया जब झारखंड निवासी एक व्यक्ति ने छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में शिकायत दर्ज कराई। इस शिकायत में आरोप लगाया गया कि झारखंड में जिस शराब घोटाले को अंजाम दिया गया, वह छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट की सुनियोजित साजिश का हिस्सा था।
2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में हुए बहुचर्चित शराब घोटाले ने राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में भूचाल ला दिया था। इस घोटाले में तत्कालीन वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सचिव अनिल टुटेजा, राज्य मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के पूर्व एमडी अरुणपति त्रिपाठी, और अनवर ढेबर के नेतृत्व वाले सिंडिकेट को मुख्य आरोपी बनाया गया।
इसी मामले की गूंज झारखंड तक पहुंची जब रांची के अरगोड़ा निवासी विकास सिंह ने आरोप लगाया कि घोटाले में शामिल कुछ व्यक्ति झारखंड की नई शराब नीति को आकार देने में भी भूमिका निभा रहे हैं। इस शिकायत के बाद जांच का दायरा बढ़ा और छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने एफआईआर दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी।
जांच की आंच झारखंड के वरिष्ठ अफसरों तक जा पहुंची। मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के तत्कालीन प्रधान सचिव और आबकारी सचिव रहे IAS विनय चौबे, तथा उत्पाद विभाग के संयुक्त सचिव IAS गजेंद्र सिंह को भी आरोपी बनाया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2024 में ECIR दर्ज कर अलग से जांच शुरू की। अक्टूबर 2024 में ईडी ने IAS विनय चौबे समेत कई लोगों के ठिकानों पर छापेमारी कर दस्तावेज जब्त किए, जिससे इस कथित घोटाले की परतें और खुलने लगीं।