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MNREGA workers are in for a treat! Now they will get 125 days of work, not 100. Learn about the scheme's new name and other significant changes.
नई दिल्ली। केंद्र सरकार करीब दो दशक बाद मनरेगा में बड़ा बदलाव करने जा रही है। नया ग्रामीण रोजगार बिल 2025 के जरिए योजना को नए नाम और नए ढांचे में लागू करने की तैयारी है। यह बिल शीतकालीन सत्र में लोकसभा में पेश किया जाएगा और इसे ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य से जोड़ा गया है।
मनरेगा का नया नाम और नया कानून
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम की जगह अब “विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल 2025”, यानी VB-G RAM G लागू होगा। सरकार का दावा है कि इससे ग्रामीण विकास को नई दिशा मिलेगी।
100 दिन से 125 दिन रोजगार की गारंटी
नए कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को अब 100 की बजाय 125 दिन मजदूरी आधारित रोजगार मिलेगा। शर्त यह है कि परिवार के वयस्क सदस्य अकुशल श्रम के लिए तैयार हों।
कृषि सीजन में काम क्यों नहीं मिलेगा
बुवाई और कटाई के पीक सीजन में रोजगार कार्य नहीं कराए जाएंगे। राज्यों को यह अवधि पहले से तय करनी होगी, ताकि कृषि कार्यों के लिए पर्याप्त मजदूर उपलब्ध रहें।
फंडिंग पैटर्न में बड़ा फेरबदल
अब बड़े राज्यों में खर्च का अनुपात 60:40 होगा। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में 90:10, जबकि केंद्र शासित राज्यों में 100% खर्च केंद्र उठाएगा। इसी पर टीडीपी ने चिंता जताई है।
विपक्ष ने नाम बदलने पर क्यों जताया विरोध
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने महात्मा गांधी का नाम हटाने पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि सरकार इतिहास से गांधी जी को हटाना चाहती है।
मनरेगा का अब तक का सफर
मनरेगा फरवरी 2006 में लागू हुई थी। अब तक इस पर 11.74 लाख करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। कोविड काल में 7.55 करोड़ लोगों को इससे रोजगार मिला।
डिजिटल निगरानी और नई कार्यप्रणाली
नया ग्रामीण रोजगार बिल 2025 के तहत ग्रामीण रोजगार परिषदें, संचालन समितियां और पीएम गतिशक्ति से जुड़ी योजनाएं लागू होंगी, ताकि पारदर्शिता बढ़े और दुरुपयोग पर रोक लगे।