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Mahmood Akram of Chennai, proficient in 400 languages, adept in speaking 46
चेन्नई के 19 वर्षीय महमूद अकरम ने अपनी अद्भुत भाषाई प्रतिभा से दुनिया को हैरान कर दिया है। महमूद न सिर्फ 46 भाषाओं को धाराप्रवाह बोल सकते हैं, बल्कि 400 भाषाओं को पढ़, लिख और टाइप भी कर सकते हैं। उनकी यह असाधारण क्षमता उन्हें दुनिया के सबसे बहुभाषी व्यक्तियों में शामिल करती है। महमूद की भाषाओं के प्रति रुचि बचपन में ही जाग गई थी, और उनके पिता शिल्बी मोजिप्प्रियान का भी इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जो स्वयं 16 भाषाओं के विशेषज्ञ हैं।
महमूद अकरम ने महज 12 साल की उम्र में 400 भाषाओं का ज्ञान अर्जित कर विश्व रिकॉर्ड बनाया और आज वह दुनियाभर में भाषाओं के प्रति जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं। वह विभिन्न देशों में जाकर वर्कशॉप आयोजित करते हैं, ताकि छात्रों को नई भाषाएं सीखने में मदद मिल सके।
इस बीच, राज्यसभा सदस्य सुधा मूर्ति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत त्रिभाषा फार्मूले का समर्थन किया है। सुधा मूर्ति का कहना है कि कोई भी व्यक्ति कई भाषाएं सीख सकता है, और उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि वह खुद सात-आठ भाषाएं जानती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भाषा सीखने में बच्चों को बहुत मजा आता है।
हालांकि, तमिलनाडु सरकार और कुछ राजनीतिक दल त्रिभाषा फार्मूले का विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने हाल ही में इसे लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि तमिलनाडु में अंग्रेजी और तमिल के दो भाषा फार्मूले पर अच्छी तरह से काम चल रहा है। उन्होंने तीसरी भाषा को अनिवार्य बनाने को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया है।