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Naxalites called for a bandh against the encounter in Bhandarpadar village of Bhejji
रायपुर। भेज्जी के भंडारपदर गांव में हुए मुठभेड़ के खिलाफ नक्सलियों ने किया बंद का आह्वान किया है। 29 नवंबर को नक्सलियों ने सुकमा बंद का आह्वान किया है। नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने बिना हथियार वाले नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया। नक्सलियों द्वारा जारी प्रेस नोट में मारे गए नक्सलियों के नामों की पुष्टि भी की गई है। यह प्रेस नोट नक्सलियों की दक्षिण बस्तर डिविज़नल कमेटी के सचिव गंगा ने जारी किया है।
'22 नवंबर सुकमा जिला वासियों के लिए एक काला दिवस है। फासीवादी विष्णुदेव साय सरकार दस क्रांतिकारियों को निर्मम हत्या किया है। इस घटना में 4 कामरेडों के पास हथियार थे। बाकि 6 कामरेडों के पास हथियार नहीं थे। उसमें दूधी उंगी (बंडारपादर) और कुंजाम बामन (चिंताम) गांव वाले थे। बिना हथियार वालों को पकड़कर निर्मम हत्या करके मंत्री और पुलिस अधिकारी जश्न मना रहे हैं। इस घटना को बहादूराना साबित करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। दस आदमी को हत्या करने के लिए 500 पुलिस को इकट्टा करना, बिना हथियार वालों को पकड़कर हत्या करना लूटी और झूठ सरकार का बहादूराना काम है !
कामरेड दूधी मासाल 20 साल से जनता के लिए काम किए। एक अच्छे कम्युनिस्ट थे। बाकी कामरेड्स दस साल से दृढ़संकल्प के साथ जनता के लिए काम कर रहे थे। इन सभी कामरेड्स नवजनवादी क्रांति सफल करने के लिए अपना जान न्यौछावर दिए हैं। वे इस बस्तर की सछे माटी पुत्र हैं, इनका कुरबानी व्यर्थ नही होगा। इन कामरेडों का इतिहास से प्रेरणा लेकर हजारों जनता उट जाएंगा। इन फासीवादीयों कों जनता का आक्रोश उकड़ फेंक देगा।
ब्राह्मणीय हिन्दुत्व फासीवादियों ने एक षड़यंत्र रचा है की यहाँ आदिवासी जनता के बीच में फूट डालकर अपना लूटी, दमन चला रहे हैं, पैसा के लालच में कुछ यहाँ का आदिवासी लोग डीआरजी, बस्तर फैटर्स जैसे पुलिस बल में शामिल होकर यहाँ का अपने ही जनता को हत्या करके जश्न मनाना, उन फासीवादीयों को संतुष्ट बनाना, कहाँ तक उचित है। यहाँ का जनता और क्रांतिकारियों को हत्या करने के बाद तुम लोगों को भी उन फासीवादीयों ने फेंक देगा। इस विषय पर डीआरजी और बस्तर फैटर्स में काम करने वाले सोचना चाहिए।
फासीवादी केंद्र, राज्य सरकारों ने जल, जंगल, जमीन, खदान, प्राकृतिक संपत्ति सार्वजनिक संपत्ति को देशी-विदेशी कारपोरेटों को देने के लिए इस तरह हत्याकांड़ कर रहे है। रोज-रोज इस तरह हत्याकांड़ करके जनता को भयभीत करके, प्रतिरोध आवाज को मिठाने के लिए विफल प्रयास कर रहे है। इतिहास बताते है कि, इतिहास में तानाशाहियों को जगह नही रहा और अभी उठने वाले ब्राह्मणीय हिन्दुत्व फासीवादीयों को भी वही हालत होगा।
सभी पार्टी, संगठन, बुद्धीजीवी, पत्रकार, छात्र, नवजवानों को हम अनुरोध करते है कि इस तरह जघन्य हत्याकांड़ को भंडाफोड़ करो और उसके विरोध में आवाज बुलंद करो और आंदोलन करो। नवंबर 29 तारीख सुकमा जिला बंद को सफल बनाओ।'
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