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डबल इंजन की सरकार के चक्रव्यूह में घिरे नक्सली: साय सरकार ने ठुकराया शांति वार्ता का प्रस्ताव, अब आत्मसमर्पण ही आखिरी रास्ता

By: शुभम शेखर
Raipur
4/4/2025, 1:11:01 PM
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Naxalites trapped in the trap of double engine government chhattisgarh government rejected the proposal of peace talks now surrender is the only way

जगदलपुर। नक्सलियों की केंद्रीय समिति की ओर से सशर्त वार्ता के प्रस्ताव को छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से ठुकराकर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री व गृहमंत्री विजय शर्मा ने साफ़ संदेश दे दिया है कि सरकार किसी भी कीमत पर नक्सलियों की कोई शर्त मानने वाली नहीं है। ऐसे में नक्सलियों के सामने अब समर्पण कर मुख्यधारा में वापसी ही एकमात्र रास्ता बच गया है। प्रदेश में डबल इंजन सरकार आने के बाद से मात्र 15 महीनों में ही वो कर दिखाया है जो दशकों में पिछली सरकारें न कर पाईं। सुरक्षा बलों के आक्रामक अभियान व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मार्च 2026 तक नक्सलियों के खात्मे की डेडलाइन तय करने से नक्सली डरे हुए हैं। वे शांति वार्ता की उस रणनीति पर उतर आए हैं, जिसके बल पर वर्ष 1989-90, 2001-2002, व 2004-2005 में संघर्ष विराम का छलावा देकर धोखे से संगठन का विस्तार किया था। इसी के तहत वर्ष 2004 के सितम्बर महीने में देश में सक्रिय दो प्रमुख नक्सल संगठन सीपीआइ माले व माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर आफ इंडिया का विलय हुआ था।  

आंध्र के हथकंडे से छत्तीसगढ़ ने किया था विस्तार

हैदराबाद में आंध्रप्रदेश सरकार के साथ शांति वार्ता हुई। बैठक की पटकथा 14 मई को कांग्रेसनीत राजशेखर रेड्डी की सरकार आने के साथ ही हो गई थी। नक्सली पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से नाराज थे और इसका लाभ चुनाव में रेड्डी की पार्टी को मिला। इसलिए आंध्र सरकार भी बिना शर्त के नक्सलियों से बात के लिए तैयार हो गई। 16 जून 2004 को सरकार ने तीन महीने के लिए नक्सल अभियान पर रोक लगाई। 21 जुलाई को सरकार ने नक्सल संगठनों पर लगे प्रतिबंध को भी आगे नहीं बढ़ाया, जिसे 1992 में नक्सलियों के सात प्रमुख संगठनों पर लगाया था। नक्सलियों के विरुद्ध अभियान रोके जाने से नक्सलियों को तैयारी और संगठन विस्तार अवसर मिल गया। नक्सली खुलेआम जनसभाएं करने लगे। संगठन का विस्तार सीमावर्ती राज्य छत्तीसगढ़ तक किया गया। तीन माह बाद छह दिसंबर 2004 को आंध्रप्रदेश के गृहमंत्री केजे रेड्डी को बोलना पड़ गया कि नक्सली खुलेआम बंदूक लेकर घूम रहे हैं इसलिए वार्ता नहीं हो सकती।

 

 

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