New Ninja Technique for Security Devotees walking in Maha Kumbh wearing ropes knots and ghungroos The lost and found centre is bustling even at 3 am
प्रयागराज। महाकुंभ का आज आखिरी दिन है। अबतक महाकुंभ में 60 करोड़ से अधिक श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं। 13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में हर दिन करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे है। कई देशों की आबादी से भी अधिक इस लोगों की भीड़ के बीच श्रद्धालु अपने परिवार के अन्य सदस्यों से आसानी से बिछड़ सकने की आशंका के बीच, संगम तक जाते और वहां से आते समय अपने परिचितों के साथ-साथ चलने के लिए अलग-अलग उपाय अपना रहे हैं। जहां कुछ लोग लंबी रस्सी लाए हैं और उन्होंने उससे एक ‘सुरक्षा घेरा’ बनाया है जिसमें वे चल सकें, वहीं कई अन्य लोग एक-दूसरे के कपड़ों से गांठ बांधकर चल रहे हैं ताकि वे बिछड़ न जाएं। बता दें कि, महाकुंभ में हर दिन खोया-पाया केंद्र में लोगों की भारी भीड़ देखने को मिलती है जोकि अपने बिछड़े हुए परिवार के सदस्यों को ढूंढने के लिए वहां प्रशासन से मदद मांगते दिखाई देते हैं।
144 साल बाद आयोजित हुए इस महाकुंभ का अंतिम स्नान पर्व बुधवार को ‘हर हर महादेव’ के घोष के साथ प्रारंभ हो गया। बुधवार तड़के से ही श्रद्धालुओं का गंगा और संगम में डुबकी लगाने का सिलसिला जारी है। इस बीच, सरकार ने श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की। अधिकारियों ने बताया कि सुबह आठ बजे तक 60 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में डुबकी लगाई। इस तरह से 13 जनवरी से आरंभ हुए महाकुंभ में अब तक 65.37 करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा और संगम में डुबकी लगा चुके हैं और शाम तक यह आंकड़ा 66 करोड़ को पार करने की संभावना है।
सोमवार रात से लेकर कई लोग अपने प्रियजन और मित्रों से नदी किनारों या मेला क्षेत्र के अन्य हिस्सों में बिछड़ चुके हैं। इनमें से कई लोगों को मानवीय सहायता और डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से अपने परिजन से मिलाया जा चुका है। सेक्टर तीन, अक्षय वट रोड स्थित ‘खोया-पाया’ केंद्र पर सोमवार देर रात तीन बजे भी चहल-पहल थी। मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से आए 34 तीर्थयात्रियों ने अपने समूह के चारों तरफ रस्सी का घेरा बनाया जिसे विभिन्न ओर से समूह के कुछ सदस्यों ने थाम रखा था। समूह में शामिल 34 वर्षीय सोमदत्त शर्मा ने कहा, ‘‘हमने यह सुरक्षा घेरा इसलिए बनाया है ताकि हम एक-दूसरे से बिछड़ न जाएं। हम पहली बार किसी कुंभ में आए हैं और हम एक-दूसरे से अलग होने के खतरों से वाकिफ हैं इसलिए हमने यह व्यवस्था की है।’’
कई अन्य लोग एक दूसरे के कपड़ों में गांठ बांधकर चल रहे हैं। पीली कोठी क्षेत्र के स्थानीय निवासी अजय कुमार कुंभ मेला शुरू होने के बाद से रोजाना अपने घर से तीर्थयात्रियों की भीड़ को गुजरते देखते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘गांवों के लोग गांठ बांधकर चलते हैं। पुरुष तीर्थयात्री अपनी धोती के साथ अपने साथ आई महिला की साड़ी के पल्लू को बांधते हैं या दो महिलाएं एक-दूसरे के शॉल का उपयोग करके गांठ बांध लेती हैं।’’ उन्होंने कहा कि दरअसल कई लोग, विशेषकर बुजुर्ग, अपने पास मोबाइल फोन नहीं रखते और उन्हें संपर्क नंबर भी मुश्किल से याद रहता है इसलिए एक बार बिछड़ जाने पर उनका फिर से मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर वे गांठ बांधकर चलते हैं।
एक अन्य श्रद्धालु अक्षत लाल ने कहा, ‘‘कुछ लोग तो एक पैर में घुंघरू बांधकर चल रहे हैं, ताकि भीड़ में खो जाने पर उनकी आवाज से एक-दूसरे को खोज सकें।’’
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