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Pakistani woman was working as a government teacher in UP for the last 9 years After the revelation the officials were shocked FIR registered
बरेली। उत्तर प्रदेश स्थित बरेली (Bareilly News) से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहाँ एक पाकिस्तानी महिला (Pakistan News) के शिक्षा विभाग में नियुक्ति का खुलासा हुआ है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि महिला फतेहगंज पश्चिमी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय माधोपुर में पिछले 9 साल तक नौकरी कर रही थी और किसी को इस बात का कभी पता ही नहीं चला की वह पाकिस्तानी है। महिला के खिआफ़ शिकायत पर एलआईयू मामले की जांच चल रही थी। जिसमें पता चला कि शिक्षिका शुमायला खान के माता पिता की नागरिकता पाकिस्तान की है। इस बात की पुष्टि एसडीएम रामपुर ने भी अपनी रिपोर्ट में कर दी। विभाग ने कार्रवाई करते हुए कुछ समय पूर्व उसे अध्यापिका की नौकरी से हटा दिया। फिलहाल बरेली की फतेहगंज पुलिस ने मामले में मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
इस मामले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय सिंह ने कहा कि साल 2015 में इनकी नियुक्ति हुई थी। एलआईयू जांच में पता चला कि इनके माता पिता पाकिस्तानी हैं। रामपुर की रहने वाली शुमायला के इस मामले में हमने एसडीएम से वार्ता की। एसडीएम की ओर से जांच की गई और निवास प्रमाण पत्र निरस्त किया गया। इसके बाद आरोपी पर एफआईआर दर्ज कराई गई।
शुमायला ने अपनी अम्मी से प्रेरणा लेते हुए फर्जीवाड़ा किया। उन्होंने प्राथमिक विद्यालय माधौपुर में सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी पाई। जाँच में पाया गया कि शुमायला के माता-पिता पाकिस्तानी नागरिक थे। रामपुर तहसील से निवास प्रमाण पत्र बनवाते समय उन्होंने यह तथ्य छिपाया।
फतेहगंज पश्चिमी के खंड शिक्षा अधिकारी भानु शंकर ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर फतेहगंज पश्चिमी थाने में शुमायला के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। अब उनके खिलाफ धोखाधड़ी और दस्तावेजों की हेराफेरी के आरोपों में कानूनी कार्रवाई हो रही है। पुलिस शुमायला की गिरफ्तारी की तैयारी कर रही है।
बता दें कि शुमायला की अम्मी माहिरा अख्तर को साल 2021 में बर्खास्त कर दिया गया था, जब वो रिटायरमेंट से सिर्फ 2 दिन दूर थी। 11 मार्च 2021 को रिटायर होने जा रही शुमायला की अम्मी माहिरा अख्तर को 9 मार्च 2021 को बर्खास्त किया गया था, जबकि शुमायरा को सस्पेंड किया गया था। माहिरा अख्तर ने भी खुद को भारतीय नागरिक बताया था, लेकिन जाँच में वे पाकिस्तानी पाई गईं। माहिरा का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुँचा और अभी हाईकोर्ट में लंबित है।
यह मामला शिक्षा विभाग और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरी पाना न केवल सिस्टम की खामियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे एक संगठित तरीके से सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किया जा सकता है।
स्कूल में कार्यरत प्रधान अध्यापक परम कृष्ण पाल ने कहा कि उच्चाधिकारियों के आदेश का पालन करते हुए शुमायला की ज्वाइनिंग कराई गई थी। ऐसा तो कभी नहीं लगा था कि ऐसा कुछ होगा। कभी पाकिस्तान की बात भी उन्होंने नहीं की थी। रामपुर का ही एड्रेस बताती थीं। उनकी मम्मी भी बेसिक में ही थी।
उन्होंने कहा कि पढ़ाने में भी अच्छी टीचर थीं। ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ कि वह पाकिस्तान को सपोर्ट करती है। यह जानकर थोड़ा दुःख हुआ कि उनकी नौकरी गई लेकिन उन्हें भी तथ्य नहीं छिपाने चाहिए थे।