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Parliament Winter Session: Brijmohan Agrawal's voice echoes in Lok Sabha, new debate begins on national population stabilization
नई दिल्ली। लोकसभा में आज शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ भाजपा नेता और रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल द्वारा पूछे गए प्रश्न ने राष्ट्रीय जनसंख्या दर (TFR) पर एक नई और गंभीर बहस छेड़ दी है। सांसद अग्रवाल ने देश में कुल प्रजनन दर, शहरी–ग्रामीण विभाजन और राज्यों की स्थिति पर विस्तृत जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में केंद्र सरकार ने 2023 के नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS) के ताज़ा आंकड़े संसद में प्रस्तुत किए।
देश की TFR गिरकर 1.9; जनसंख्या स्थिरता की ओर भारत
केंद्र सरकार के मुताबिक वर्ष 2023 में भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) 1.9 रही है, जो जनसंख्या स्थिरता के संकेत देती है। ग्रामीण क्षेत्रों में TFR 2.1 और शहरी क्षेत्रों में 1.5 दर्ज की गई है। छत्तीसगढ़ का TFR 2.2 है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र 2.5 और शहरी क्षेत्र 1.6 पर है।
किस राज्य में कितना TFR?
सबसे उच्च TFR: बिहार 2.8
दूसरे स्थान पर: उत्तर प्रदेश 2.6
सबसे कम: दिल्ली 1.2, इसके बाद तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल 1.3
देश के 20 से अधिक राज्यों में TFR स्थिरता स्तर 2.1 से भी नीचे आ चुका है, जो जनसंख्या वृद्धि में तीव्र गिरावट के संकेत देता है। (सभी आंकड़े SRS Statistical Report 2023 से प्रस्तुत किए गए हैं)
सांसद बृजमोहन अग्रवाल की पहल पर चर्चा तेज
बृजमोहन अग्रवाल ने TFR में शहरी–ग्रामीण असंतुलन, घटती जन्मदर और भविष्य की जनसांख्यिकीय चुनौतियों पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया।
उनके सवाल के बाद संसद में जनसंख्या स्थिरता, स्वास्थ्य ढांचा, मातृ-शिशु पोषण और भविष्य की कार्यबल संरचना पर नई बहस छिड़ गई है।
भागवत के संदेश से जुड़ा मुद्दा
सांसद अग्रवाल का प्रश्न उस समय सामने आया है जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समाज से तीन बच्चे रखने की अपील कर चुके हैं ताकि भविष्य में जनसंख्या असंतुलन न हो। यह विषय अब नीतिगत चर्चा का केंद्र बनता जा रहा है।
केंद्र सरकार का जवाब-स्वास्थ्य व नीति स्तर पर कई पहलें जारी
केंद्र ने उत्तर में बताया कि, मातृ एवं बाल स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जा रहा है। गर्भधारण अंतराल और परिवार कल्याण पर बल PMMVY सहित कई योजनाओं के माध्यम से पोषण व सुरक्षा सुनिश्चित, राज्यों के लिए विशेष बजट और सहयोग जारी है।
कब चरम पर पहुंचेगी भारत की जनसंख्या?
सरकार के अनुसार आने वाले दशकों में भारत की जनसंख्या का चरम आंका गया है और अनुमान है कि भविष्य में वरिष्ठ नागरिकों (60+) की संख्या बच्चों (14 वर्ष से कम) से अधिक होगी, जिससे नई सामाजिक-आर्थिक चुनौतियाँ सामने आएंगी।