

Copyright © 2025 rights reserved by Inkquest Media
अन्य समाचार

Parliament debates on the renaming of MNREGA, a 14-hour marathon debate on the 'VB-G RAM G' bill.
नई दिल्ली। भारतीय लोकतंत्र के संसदीय इतिहास में 17 दिसंबर की तारीख एक अभूतपूर्व बहस के रूप में दर्ज हो गई। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए ग्रामीण रोजगार संशोधन विधेयक ‘विकसित भारत–जी राम जी (VB-G RAM G)’ पर संसद में ऐसा सियासी घमासान मचा कि लोकसभा की कार्यवाही रात 1.35 बजे तक चलती रही। करीब 14 घंटे चली इस मैराथन चर्चा में 98 सांसदों ने हिस्सा लिया। सत्ता पक्ष ने इसे गरीबों और ग्रामीण भारत के उत्थान की दिशा में बड़ा सुधार बताया, जबकि विपक्ष ने इसे महात्मा गांधी के अपमान और सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करने वाला कदम करार दिया।
नाम बदलने से शुरू हुआ विवाद, मनरेगा बना सियासी रणक्षेत्र
इस पूरे विवाद की जड़ मनरेगा (MNREGA) का नाम बदलकर VB-G RAM G करना है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार जानबूझकर महात्मा गांधी का नाम योजनाओं से हटाना चाहती है। इंडिया गठबंधन के सांसदों ने गुरुवार सुबह संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन किया और बिल वापस लेने की मांग की। विपक्ष का कहना है कि सरकार को इस विधेयक को जल्दबाजी में पास कराने के बजाय स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजना चाहिए था।
विपक्ष का तीखा हमला: गांधी का अपमान, गरीबों के साथ धोखा
सदन के भीतर बहस बेहद तीखी और व्यक्तिगत रही। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भगवान राम और शबरी का उदाहरण देते हुए कहा कि “प्रभु श्रीराम ने गरीबों को गले लगाया, लेकिन यह सरकार राम के नाम पर गरीबों की सबसे बड़ी योजना को कमजोर कर रही है।”
आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर ने सवाल उठाया कि अगर नाम बदलना ही था तो इसे बाबासाहेब आंबेडकर के नाम पर क्यों नहीं किया गया।
वहीं जम्मू-कश्मीर से सांसद इंजीनियर रशीद ने भाजपा पर हमला बोलते हुए उन्हें “राम का झूठा भक्त” बताया। विपक्ष का कहना है कि नाम बदलने से रोजगार नहीं बढ़ेगा, बल्कि ग्रामीणों में भ्रम फैलेगा।
सत्ता पक्ष का पलटवार: भ्रष्टाचार खत्म होगा, गरीबों को मिलेगा सीधा लाभ
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि पुराने मनरेगा ढांचे में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी थीं, जिससे कांग्रेस नेताओं को फायदा होता था। उन्होंने दावा किया कि नया बिल बिचौलियों को खत्म करेगा, इसी वजह से विपक्ष परेशान है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत’ के संकल्प का हिस्सा है, जिससे किसानों, मजदूरों और वंचित वर्गों को सीधा लाभ मिलेगा। सरकार का दावा है कि यह केवल नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि योजना को अधिक पारदर्शी और आधुनिक बनाने की पहल है।
आज मंत्री का जवाब, सड़कों तक ले जाने की तैयारी में विपक्ष
कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार की मंशा किसी का अपमान करना नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। उन्होंने संसद में सभी सवालों का बिंदुवार जवाब देने का भरोसा दिलाया। वहीं विपक्ष ने साफ कर दिया है कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो यह लड़ाई सदन से सड़क तक ले जाई जाएगी। छोटे दलों और निर्दलीय सांसदों ने भी अपनी आशंकाएं जताई हैं।