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Statue of Unity architect Padma Shri Ram Sutar passes away at the age of 100; Prime Minister and Home Minister express condolences
नई दिल्ली। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाकर विश्व पटल पर भारत का नाम रोशन करने वाले प्रख्यात मूर्तिकार पद्मश्री राम सुतार का निधन हो गया है। उन्होंने 100 वर्ष की उम्र में गुरुग्राम स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से उम्र से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे थे। उनके निधन से कला जगत सहित पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।
राम सुतार के निधन की पुष्टि उनके पुत्र अनिल सुतार ने की। उन्होंने बताया कि बुधवार 17 दिसंबर की देर रात उनका देहांत हुआ। उनका अंतिम संस्कार 18 दिसंबर को सुबह 11 बजे संपन्न किया गया।
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राम सुतार के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने कहा कि राम सुतार की कलाकृतियां आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी और भारतीय कला को उन्होंने वैश्विक पहचान दिलाई।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से रचा इतिहास
राम सुतार के नाम दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के निर्माण का गौरव दर्ज है। यह प्रतिमा सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है और भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का प्रतीक बन चुकी है।
महाराष्ट्र से था गहरा नाता
राम सुतार का जन्म वर्ष 1925 में महाराष्ट्र के गोंदूर गांव (वर्तमान में धुले जिला) में हुआ था। बचपन से ही उन्हें कला में गहरी रुचि थी। उन्होंने मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट एंड आर्किटेक्चर से शिक्षा प्राप्त की और गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके बाद उन्होंने भारतीय मूर्तिकला को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
अमर कृतियों के जरिए छोड़ी अमिट छाप
राम सुतार की बनाई कई मूर्तियां देश की पहचान बन चुकी हैं। इनमें संसद परिसर में ध्यानमग्न महात्मा गांधी की प्रतिमा, घोड़े पर सवार छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति और सरदार वल्लभभाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रमुख हैं। कहा जाता है कि जिस पत्थर को वे छू लेते थे, वह अद्भुत कलाकृति में बदल जाता था।
पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित
उनकी कला और योगदान के लिए राम सुतार को वर्ष 1999 में पद्म श्री और 2016 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। हाल ही में उन्हें महाराष्ट्र के सर्वोच्च सम्मान ‘महाराष्ट्र भूषण’ से भी नवाजा गया था।