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Police called attacks on Hindus in Bangladesh as political violence
ढाका। शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों को लेकर बांग्लादेश की पुलिस ने रिपोर्ट जारी की है, जिसमें अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को राजनीतिक हिंसा कहा गया है। खास बात ये है कि ये आँकड़े सिर्फ उन 16 दिनों के हैं, जब शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था।
दरअसल, इस रिपोर्ट में बताया गया कि 4 अगस्त 2024 से 20 अगस्त 2024 के बीच अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई 1,415 घटनाओं में से 98.4 percent मामले राजनीतिक प्रेरित थे और सिर्फ 1.59 percent घटनाएं सांप्रदायिक कारणों से हुईं। ऐसे में कट्टरपंथियों के दम पर सत्ता में बनी मोहम्मद यूनुस की कार्यवाहक सरकार हिंदुओं पर हमलों को राजनीतिक हिंसा का नाम देकर असली सांप्रदायिक मुद्दे को छिपाने की कोशिश कर रही है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 4 से 20 अगस्त 2024 के दौरान हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों (अल्पसंख्यक समुदायों) पर 2,010 हमलों की रिपोर्ट बांग्लादेश हिंदू बुद्ध ईसाई एकता परिषद ने दर्ज की थी। इनमें उनकी संपत्तियों, पूजा स्थलों और जीवन पर हमले शामिल थे। हालाँकि, पुलिस के आँकड़ों के मुताबिक 1769 घटनाएँ दर्ज हुईं, जिनमें से 1415 मामलों की जाँच पूरी हो चुकी है। बाकी 354 मामलों की जाँच अभी चल रही है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस की इस जाँच में 1,254 मामलों को सही पाया गया, जबकि 161 मामलों में सबूत नहीं मिले। सत्यापित मामलों में 1,234 घटनाओं को राजनीतिक हिंसा बताया गया और सिर्फ 20 मामलों को सांप्रदायिक।
पुलिस ने कहा कि उन्होंने प्रभावित इलाकों का दौरा किया, पीड़ितों और गवाहों से बात की और औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के लिए पीड़ितों को प्रोत्साहित किया। इसके अलावा, सुरक्षा के लिए कदम उठाए गए। इस पूरी प्रक्रिया के बाद 62 मामले दर्ज हुए और 951 सामान्य डायरियाँ (जीडी) बनाई गईं। अब तक 63 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
गौरतलब है कि, हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के मामलों को देखें, तो अकेले 5 अगस्त 2024 को ही 1452 घटनाएँ हुई थी, जो कुल मामलों का 82.8 प्रतिशत है। ये वही दिन था, जब शेख हसीना को ढाका छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी थी। इसके बाद से पूरे देश की व्यवस्था बदल गई, फिर कितने मामले किस तरह दर्ज हुए होंगे, इसका महज अंदाजा ही लगाया जा सकता है।
सांप्रदायिक हिंसा के नए मामलों पर नजर डालें तो अगस्त 5, 2024 से जनवरी 8, 2025 के बीच 134 ऐसी घटनाएँ सामने आ चुकी हैं, जिनमें से 53 मामलों में एफआईआर दर्ज हुई और 53 सामान्य डायरियाँ बनाई गईं। अब तक 65 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। इस बीच, बांग्लादेश की सरकार ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की शिकायत दर्ज कराने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधि शामिल हैं। साथ ही राष्ट्रीय हेल्पलाइन 999 पर आने वाली शिकायतों का तुरंत निपटारा किया जा रहा है।
वहीं बांग्लादेश हिंदू बुद्ध ईसाई एकता परिषद का कहना है कि सरकार इन हमलों को राजनीतिक रंग देकर असली समस्या को छिपा रही है। परिषद ने बताया कि अल्पसंख्यकों पर हुए हमले उनके जीवन और धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला हैं। अल्पसंख्यक समुदायों और मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि राजनीतिक हिंसा का बहाना बनाकर कट्टरपंथी सरकार असली सांप्रदायिक हिंसा को नजरअंदाज कर रही है।