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RTE Admission: More than eight thousand seats are still vacant in the schools of Chhattisgarh, admissions are incomplete even after two phases.
रायपुर। शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के कारण इस साल निजी स्कूलों में आठ हजार से अधिक सीटें खाली रह गई हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, राज्य में आरटीई के तहत प्रवेश प्रक्रिया दो चरणों में पूरी हो चुकी है। कुल 54,668 सीटों में से 46,130 छात्रों ने दाखिला लिया है, जबकि 8,538 सीटें खाली रह गई हैं।
बता दें कि, इस साल 1 लाख 22 हजार से ज़्यादा आवेदन आए, लेकिन सीटें खाली रह गई। यह स्थिति तब पैदा हुई जब आवेदनों की संख्या उपलब्ध सीटों से दोगुनी थी। राज्य में 33 जिलों में कुल 6,751 निजी स्कूल हैं, जिनमें वर्तमान में 3 लाख 26 हजार 798 छात्र पढ़ते हैं। शिक्षा विभाग ने शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत दाखिले के लिए लॉटरी सिस्टम लागू किया है, जिसके तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें इस प्रावधान के तहत भरी जानी चाहिए।
रायपुर जिले में करीब 800 निजी स्कूलों ने शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत 6,000 सीटें आरक्षित की हैं, जिनमें से करीब 1,000 सीटें खाली रह गई हैं। RTE के तहत दाखिले के लिए 1 लाख 22 हजार से ज़्यादा आवेदन आए, जिनमें से 32,000 से ज़्यादा आवेदन खारिज कर दिए गए।
आवेदनों के खारिज होने का मुख्य कारण बच्चों की उम्र से जुड़ा है। इसके अलावा, आधार कार्ड और गरीबी रेखा सर्वेक्षण सूची जैसे आवश्यक दस्तावेजों की कमी के कारण भी बड़ी संख्या में फॉर्म रद्द किए गए हैं। पिछले साल 80,000 से ज़्यादा आवेदन आए थे, जो इस साल के आँकड़ों से काफ़ी कम है।
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि, खाली सीटों का मुख्य कारण अभिभावकों का अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को प्राथमिकता देना है। खाली सीटों में से अधिकांश हिंदी माध्यम स्कूलों में हैं। इसके अलावा स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की स्थापना के बाद से निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत दाखिले में कमी आई है।