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SC dismissed the PIL demanding CBI investigation into the Tirupati Laddu controversy the court said Cannot give such an order
नई दिल्ली। तिरुपति लड्डू विवाद को लेकर सीबीआई जाँच की मांग करते हुए दायर जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। यह जनहित याचिका सामाजिक कार्यकर्ता और ‘ग्लोबल पीस इनिशिएटिव’ के अध्यक्ष के ए पॉल द्वारा दायर की गई थी।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह अतिशयोक्तिपूर्ण था। पीठ ने कहा, “आपकी प्रार्थना के अनुसार, हमें सभी मंदिरों, गुरुद्वारों आदि के लिए अलग-अलग राज्य बनाने होंगे। हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि किसी विशेष धर्म के लिए अलग राज्य बनाया जाए। खारिज किया जाता है।”
पॉल की याचिका में संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित मौलिक धार्मिक अधिकारों के उल्लंघन की बात कही गई थी, जो धर्म का पालन करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि राजनीतिक हेरफेर और भ्रष्टाचार लाखों लोगों द्वारा पवित्र मानी जाने वाली परंपराओं को कमजोर कर सकता है।
बता दें कि, सबसे पहले लड्डू में मिलावट की बात सबसे पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के दावों के साथ सामने आए, जिसमें कहा गया था कि पिछली सरकार के दौरान मंदिर के पवित्र प्रसाद पशु चर्बी की मिलावटी सामग्री का इस्तेमाल किया गया था, जिससे काफी विवाद हुआ। इन दावों के कारण सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ और दुनिया भर में हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम में पूजनीय लड्डू प्रसादम की पवित्रता के बारे में भक्तों के बीच काफी चिंताएँ पैदा हुईं।
बढ़ते विवाद का जवाब देते हुए और “करोड़ों लोगों की भावनाओं को शांत करने” के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने पहले 4 अक्टूबर को पांच सदस्यीय स्वतंत्र विशेष जाँच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया था। इस टीम में CBI और आंध्र प्रदेश पुलिस के दो-दो अधिकारी और खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।