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लखनऊ। हमारे देश में न्यायाधीश को न्याय का देवता माना जाता है, जब भी व्यक्ति समाज या समाज की व्यवस्थाओं से पीड़ित होता है तो वह कोर्ट रूम में बैठे न्यायाधीश की तरफ आशा भरी नजरों से देखा है लेकिन अब इस न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हम में ईश्वर ना देखे।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस के विनोद चंद्रन ने कहा कि, न्यायाधीश में भगवान ना देखें बल्कि न्याय में भगवान देखें। दोनों न्यायाधीश की है टिप्पणी शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के एक मंदिर से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान की। दरअसल कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक वकील ने टिप्पणी की थी कि वह जजों में भगवान को देखते हैं।
दरअसल उत्तर प्रदेश के एक मंदिर के प्रकरण में पर भी कर रहे वकील ने कोर्ट से उसके से अलग होने की मांग कोर्ट से की थी। वकील का आरोप था कि उनका मुवक्किल उनकी बात नहीं मान रहा और उन्हें एक नोटिस भेजा है। जिसमें आरोप लगाया है कि वकीलों के जरिए जजों को फिक्स किया जा रहा है, जो मेरे लिए अवमानना पूर्ण है।
मुझे अगर किसी केस में बेईमानी लगती है तो मैं अलग हो जाता हूं, हम जजों में ईश्वर को देखते हैं। इस पर न्यायाधीश ने कहा कि, व्यक्ति नहीं न्याय में आस्था रखें। हम केवल विनम्र सेवक हैं, ऐसी बातें विचलित नहीं करतीं। भावुक न हों।