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The countdown to the Red Terror begins. The Home Ministry told the Lok Sabha:
नई दिल्ली। लोकसभा में गृह मंत्रालय ने नक्सल उग्रवाद की वर्तमान स्थिति और उसके उन्मूलन के लिए उठाए जा रहे कदमों पर विस्तृत जानकारी दी। सरकार ने कहा कि सुरक्षा बलों की निरंतर और सटीक कार्रवाई के चलते वामपंथी उग्रवाद (LWE) अब अपने सबसे कमजोर चरण में है और बड़ी संख्या में नक्सली संगठन टूट रहे हैं।
29 शीर्ष नक्सली कमांडर ढेर, हजारों गिरफ्तार और आत्मसमर्पण
गृह मंत्रालय के अनुसार जून 2019 से अब तक 29 शीर्ष नक्सली कमांडरों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया है, जिनमें से 14 उग्रवादी इस साल न्यूट्रलाइज किए गए। इसी अवधि में कुल 1,106 उग्रवादी मारे गए, 7,311 गिरफ्तार हुए और 5,571 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए। सरकार के मुताबिक यह संख्या बताती है कि नक्सल संगठनों की शक्ति लगातार कमजोर हो रही है और उनका नेटवर्क सिमटता जा रहा है।
सरेंडर करने वालों के लिए आकर्षक पुनर्वास योजना
हथियार छोड़ने वाले नक्सलियों को सरकार विशेष पुनर्वास पैकेज उपलब्ध करा रही है। इसमें उच्च कैडर को 5 लाख रुपये, अन्य कैडर को 2.5 लाख रुपये, और हथियार के साथ सरेंडर पर अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
इसके अलावा तीन साल तक 10,000 रुपये मासिक भत्ता, बच्चों की शिक्षा, घायल या दिव्यांगों के लिए राहत सहायता, महिलाओं को आजीविका सुविधा और पुलिस के सहयोगियों को नौकरी व भूमि में वरीयता दी जा रही है। सरकार के अनुसार, केवल इसी वर्ष 2,167 माओवादी पुनर्वास योजना का लाभ लेकर समाज की मुख्यधारा में लौट चुके हैं।
"न संविधान में विश्वास, न लोकतंत्र में"- गृह मंत्रालय
गृह मंत्रालय ने सदन में कहा कि वामपंथी उग्रवादी भारत के संविधान और लोकतांत्रिक संरचना में विश्वास नहीं रखते। बीते वर्षों में इन उग्रवादियों ने हजारों निर्दोष नागरिकों की हत्या, बच्चों को अनाथ करने और महिलाओं को विधवा करने जैसे गंभीर अपराध किए हैं।
रेड कॉरिडोर सिमटा, 2026 तक उग्रवाद खत्म करने का लक्ष्य
सरकार का दावा है कि कभी नेपाल के पशुपतिनाथ से लेकर दक्षिण भारत के तिरुपति तक फैला रेड कॉरिडोर अब काफी घट चुका है। गृह मंत्रालय ने सदन में कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व और गृह मंत्री के मार्गदर्शन में मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूरी तरह उन्मूलन कर दिया जाएगा।