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Uttarakhand tragedy: Machines did not reach Dharali even after 36 hours, 150 people feared trapped under the debris
भटवारी/धराली। उत्तराखंड के धराली गांव में आए जल सैलाब ने भारी तबाही मचाई है, जिसमें 150 से ज़्यादा लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। इस भयंकर आपदा को 36 घंटे से ज़्यादा हो चुके हैं, लेकिन खराब मौसम और टूटी हुई सड़कों के कारण बचाव दल और बड़ी मशीनें अभी तक घटनास्थल पर नहीं पहुँच पाई हैं।
धराली गांव अब मलबे के 20 फीट ऊंचे ढेर में तब्दील हो चुका है। जहाँ एक समय सड़कें, बाज़ार और होटल थे, वहाँ अब सिर्फ सन्नाटा और मलबा है। स्थिति इतनी गंभीर है कि जेसीबी जैसी बड़ी मशीनें अब तक नहीं पहुँच पाई हैं, जिससे बचाव कार्य बहुत मुश्किल हो गया है। सेना के जवान अपनी जान जोखिम में डालकर हाथों से पत्थरों और मलबे को हटाकर लोगों की तलाश कर रहे हैं।
एक स्थानीय निवासी भूपेंद्र पंवार ने बताया कि जब यह हादसा हुआ, उस समय लगभग 200 लोग, जिनमें 20 नेपाली कर्मचारी और 100 पर्यटक शामिल थे, बाज़ार में मौजूद थे। उन्होंने खुद भागकर अपनी जान बचाई, लेकिन उनके कई साथी अब भी लापता हैं। भूपेंद्र ने बताया कि गांव के सभी बुजुर्ग एक सामूहिक पूजा में गए थे, जिससे वे सुरक्षित बच गए। हालांकि, गांव में मौजूद ज़्यादातर युवा, दुकानदार और पर्यटक इस आपदा की चपेट में आ गए।
धराली से करीब 60 किलोमीटर दूर भटवारी में सभी बचाव टीमें फंसी हुई हैं, क्योंकि भटवारी से धराली तक की सड़क पांच अलग-अलग जगहों पर टूट गई है। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर गंगनारी के पास एक पुल भी बह गया है। फिलहाल, पूरा बचाव ऑपरेशन सेना को सौंप दिया गया है। सेना एक वैली ब्रिज बनाने की कोशिश कर रही है, जिसके गुरुवार तक बन जाने की उम्मीद है। इसके बाद ही बड़ी मशीनें और बचाव दल धराली तक पहुँच पाएंगे।
भारतीय वायुसेना भी बचाव कार्य में मदद के लिए तैयार है। वायुसेना के एमआई-17 हेलिकॉप्टर और एएलएच एमके-3 एयरक्राफ्ट के साथ-साथ एएन-32 और सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भी देहरादून पहुँच चुके हैं और गुरुवार से उड़ान भर सकते हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, धराली में बादल नहीं फटा था। मौसम विभाग के निदेशक डॉ. बिक्रम सिंह ने बताया कि मंगलवार को केवल 2.7 सेंटीमीटर बारिश हुई थी, जो सामान्य थी।
दरअसल, यह तबाही धराली के श्रीखंड पर्वत पर मौजूद हैंगिंग ग्लेशियर के टूटने की वजह से हुई। वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. डॉ. एसपी सती ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण ट्रांस हिमालय में तापमान बढ़ रहा है, जिससे ये ग्लेशियर पिघल रहे हैं। संभावना है कि बारिश और गर्मी के कारण ग्लेशियर का एक बड़ा हिस्सा टूटकर गिरा, जिसने ऊपर मौजूद 2-3 झीलों को तोड़ दिया। इसी वजह से मलबे का इतना बड़ा सैलाब धराली तक पहुंचा, जिसने सब कुछ तबाह कर दिया।