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Wrongly paid more salary for 37 years served recovery notice after retiremen HC imposed stay
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय में रिटायर्ड कर्मचारी से की जा रही वेतन की वसूली को गैरकानूनी करार देते हुए विभागीय आदेश को रद्द कर दिया है। यह फैसला न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की एकलपीठ ने सुनाया।
जानकारी के अनुसार कोरबा निवासी 63 वर्षीय अहमद हुसैन स्वास्थ्य विभाग में हेड क्लर्क के पद से रिटायर हुए हैं। इसी बीच उन्हें 1 जून 2023 को एक पत्र प्राप्त हुआ। इसमें कहा गया कि 1 जनवरी 1986 से 28 फरवरी 2023 तक उन्हें गलती से अधिक वेतन दिया गया, जिसकी वसूली की जाएगी। डायरेक्टरेट ऑफ हेल्थ सर्विसेज और कोरबा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) ने मिलकर यह वसूली का आदेश जारी किया।
अहमद हुसैन के वकील डॉ. सुदीप अग्रवाल ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह वसूली सुप्रीम कोर्ट के 2015 के रफीक मसीह फैसले के खिलाफ है। हुसैन क्लास-तीन कर्मचारी हैं और उन्हें इस अतिरिक्त राशि के भुगतान की जानकारी नहीं थी।
यह वसूली उनके लिए वित्तीय संकट और मानसिक पीड़ा का कारण बन सकती है। राज्य की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि विभाग ने जब त्रुटिपूर्ण भुगतान की पहचान की, तो नियम अनुसार वसूली का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि अहमद हुसैन क्लास-तीन कर्मचारी हैं और रिटायर हो चुके हैं। उन्होंने जानबूझकर कोई धोखाधड़ी नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने अपने रफीक मसीह व जोगेश्वर साहू जैसे मामलों में ऐसे वसूली आदेशों को असंवेदनशील और अनुचित ठहराया है।
कोर्ट ने कहा कि यह वसूली न सिर्फ नियमों के खिलाफ है बल्कि कर्मचारी की गरिमा व सम्मान के खिलाफ भी। न्यायालय ने याचिका स्वीकार करते हुए वसूली आदेश को रद्द कर दिया है।