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justice manish kumar of allahabad highcourt saperate himself from gyanvapi case
इलाहाबाद। ज्ञानवापी मस्जिद मामले से इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज मनीष कुमार ने खुद को अलग कर लिया है। मनीष कुमार ने खुद को उस केस से अलग किया है, जिसमें मस्जिद के अंदर मिले शिवलिंग को छोड़ वुज़ूखाने का आर्कियोलॉजिकल सर्वे करने की मांग उठाई गई है। बता दें कि, वाराणसी की ज़िला अदालत ने इस सर्वे की मांग को खारिज कर दिया था, जिसके बाद इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
कोर्ट ने कहा है कि चीफ जस्टिस इस केस में 31 जनवरी तक नए जज की नियुक्ति करेंगे, इसी दिन अब इस केस में आगे की सुनवाई की जाएगी। ये याचिका राखी सिंह ने दायर की है। राखी सिंह श्रृंगार गौरी की पूजा के मामले में भी याचिकाकर्ता हैं, जिसकी सुनवाई वाराणसी ज़िला कोर्ट में हो रही है।
वराणसी ज़िला कोर्ट ने दिया अहम आदेश
गौरतलब है कि, मामले में बुधवार को वज़ुखाना को छोड़ पूरे मस्जिद के हुए ASI(आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) सर्वे की हार्ड काॅपी हिन्दू और मुस्लिम दोनों पक्षों को दिए जाने का आदेश वाराणसी की जिला अदालत ने दिया था। ASI ने 100 दिनों तक मस्जिद का सर्वे किया था।
355 वर्षों से चल रहा विवाद
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद 1669 से चल रहा है। 33 वर्षों से मामला अदालत के विचाराधीन है। लेकिन मामले में बुधवार को इसकी ASI रिपोर्ट पक्षकारों को दिए जाने के बाद आगे की कानूनी लड़ाई तय होगी।
हिन्दू पक्ष का दावा
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी का दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1669 में ज्ञानवापी मंदिर को ध्वस्त कराया था। मंदिर के ऊपरी हिस्से को मस्जिद का रूप दिया था। इसके लिए तीन गुंबद बनाए थे। मुख्य गुंबद के नीचे एक और शिवलिंग है। वहां धप-धप की आवाज आती है। सील वजूखाने में शिवलिंग मिला है। सर्वे रिपोर्ट से सच सामने आ जाएगा।
मुस्लिम पक्ष का दावा
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन का दावा है कि ज्ञानवापी अकबर के कार्यकाल से पहले की बनी है। इसके साक्ष्य भी हैं। औरंगजेब का शासन बाद में आया था। वजूखाने में फौव्वारा लगा है। सर्वे रिपोर्ट की प्रति के लिए बृहस्पतिवार को प्रार्थना पत्र देंगे। हम चाहते थे कि सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक न की जाए। दूसरा पक्ष इसका गलत इस्तेमाल करेगा। तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करेगा। इससे माहौल खराब होगा। अब आदेश आ गया है तो नकल प्राप्त करके आगे की कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी।
अब तक क्या हुआ, एक नजर में
1991: बता दें कि, ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ का मुकदमा दाखिल करके पहली बार पूजापाठ की अनुमति मांगी गई थी। इस पर जिला अदालत ने सुनवाई भी की लेकिन यह मामला विचाराधीन ही रहा।
1993: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश पारित किया।
2018: सुप्रीम कोर्ट ने स्टे ऑर्डर की वैधता 6 महीने बताई।
2019: वाराणसी की जिला अदालत ने मामले की सुनवाई फिर शुरू की।
2023: जिला जज की अदालत ने सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया। सर्वे पूरा हुआ और रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई। इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1991 के लाॅर्ड विश्वेश्वर मामले में अपना स्टे ऑर्डर हटा लिया। ASI से सर्वे कराने और रिपोर्ट निचली अदालत में दाखिल करने का आदेश दिया।
2024: जिला जज की अदालत ने एएसआई की सर्वे रिपोर्ट पक्षकारों को उपलब्ध कराने का आदेश पारित किया।