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सागर। मध्य प्रदेश में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां, एक महिला के पेट में पल रहे बच्चे के अंदर भी एक बच्चा पल रहा था। अल्ट्रासाउंट कराने पर डॉक्टरों को इसकी जानकारी लगी थी। अब महिला ने बच्चे को जन्म दिया दे दिया। इस कंडीशन को मेडिकल भाषा में फीटस इन फीटू कहा जाता है। डॉक्टरों के अनुसार लाखों महिलाओं में किसी एक के साथ ऐसा होता है। जन्म के बाद से नवजात जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती हैं, उसे बचाने के लिए डॉक्टर सर्जरी करने को लेकर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह रेयर केस सागर जिले की एक गर्भवती महिला में सामने आया है। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष और प्राध्यापक डॉ. पीपी सिंह ने बताया कि केसली की रहने वाली एक गर्भवती महिला नौवें महीने में उनके निजी क्लीनिक पर जांच कराने के लिए आई थी। जांच में महिला के गर्भ में पल रहे नवाजत के अंदर भी एक बच्चा होने का संदेह हुआ। इसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज बुलाया, जहां जांच के दौरान महिला के गर्भ के अंदर एक और बेबी या टेरिटोमा की मौजूदगी नजर आई। इसके बाद महिला को मेडिकल कॉलेज में प्रसव कराने की सलाह दी गई, लेकिन वह यहां आशा कार्यकर्ता के साथ आई थी। ऐसे में वह महिला को वापस केसली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गईं, जहां सामान्य प्रसव हुआ है।
बच्चे के पेट में नजर आई गांठ
डॉक्टर पीपी सिंह ने कहा कि, अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में महिला के पेट में पल रहे बच्चे के पेट में एक गांठ नजर आ रही थी। हमें डॉपलर करके देखा तो खून आने लगा। ऐसे में फीटस इन फीटू की संभावना जताई गई, इसमें बच्चे के अंदर भी बच्चा पल रहा होता है।
डॉक्टर बोले जीवन में ऐसा केस नहीं देखा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार डॉक्टर पीपी सिंह ने कहा कि मेडिकल हिस्ट्री में इस तरह के केस काफी दुर्लभ होते हैं। पांच लाख महिला में से किसी एक में ऐसा होता हैं। अब तक दुनिया में इस तरह के 200 केस ही सामने आए हैं, जो लिटरेचर में ऑनलाइन मौजूद हैं। मैंने खुद अपने जीवन में ऐसा पहला केस देखा है।
बच्चा होने की संभावना ज्यादा
डॉक्टर पीपी सिंह ने बताया कि गर्भवती महिला ने नार्मल डिलीवरी के जरिए बेटी को जन्म दिया है। नवजात बच्ची का सीटी स्कैन किया गया है। जिसमें उसके पेट में बच्चा होने की संभावना ज्यादा नजर आ रही है। टेरिटोमा की संभावना कम है।