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Amidst the scorching heat the demand for electricity crossed 7 thousand megawatts despite buying at a high price the supply is at the fixed rate
रायपुर। छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी के चलते बिजली की मांग में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। पिछले साल मई में अधिकतम मांग 6,368 मेगावॉट पहुंची थी जो इस साल अप्रैल में ही 10 प्रतिशत बढ़कर 7,006 मेगावॉट तक पहुंच गई। भारी मांग के चलते आम उपभोक्ताओं को निर्बाध विद्युत आपूर्ति में व्यवधान न आए इसके लिए छत्तीसगढ़ पॉवर कंपनी द्वारा पीक ऑवर्स में ऊंचे दाम पर भी बिजली खरीद कर निर्धारित दर पर ही आपूर्ति की जा रही है। अत्यधिक मांग के कारण विद्युत प्रणाली पर भारी दबाव होता है। जिसके कारण विगत 15 दिनों में केंद्रीकृत कॉल सेंटर में कुल 65 लाख उपभोक्ताओं में से 1 लाख 56 हजार शिकायतें दर्ज की गई जिनका निराकरण यथासमय किया गया। त्वरित मरम्मत के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।
इस वर्ष विगत वर्षों की अपेक्षा अप्रैल माह में ही तेज गर्मी पड़ने लगी है। जिसके कारण विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं की बिजली की मांग तेजी से बढ़ी है। विगत वर्ष मई महीने में 6,368 मेगावॉट की तुलना में इस वर्ष 22 अप्रैल में ही मांग 7,006 मेगावॉट को स्पर्श कर गई जो विगत 1 वर्ष में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि है।
छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनी, पॉवर एक्सचेंज और बैंकिंग के साथ ही एचपीडीएएम (हाई प्राइज़ डे अहेड मार्केट) के जरिये मंहगी दरों पर बिजली खरीदकर आम घरेलू उपभोक्ताओं को क्रय दर से कम दरों पर बिजली प्रदान कर रही है। पिछले साल मई महीने में अधिकतम मांग 6,368 मेगावॉट पहुंची थी, जो इस साल अप्रैल महीने में ही 7,006 मेगावॉट तक पहुंच गई है। यानी एक साल में ही 10 प्रतिशत (638 मेगावॉट) की वृद्धि हुई है। यह प्रदेश में बढ़ते सामाजिक- आर्थिक सशक्तीकरण का प्रतीक भी है। पॉवर कंपनी इसकी आपूर्ति के लिए विशेष योजना के साथ कार्य कर रही है, जिसमें मांग अधिक होने पर एचपीडीएएम (हाई प्राइज़ डे अहेड मार्केट) से बिजली क्रय की जाती है।
वन नेशन, वन ग्रिड के आधार पर देशभर के सभी विद्युत घरों की उत्पादित बिजली ग्रिड में डाली जाती है, उसे राज्य आवश्यकतानुसार क्रय करके अपने राज्य में बिजली आपूर्ति की व्यवस्था करते हैं। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक दिन पूर्व मांग बताई जाती है। फिर मांग के अनुसार हर 15 मिनट के स्लैब में बिजली की दरें जारी होती हैं, जिस राज्य की दर अधिक रहती है, उसे विद्युत उत्पादक कंपनियां बिजली बेचती हैं। छत्तीसगढ़ में बिजली की औसत मांग दिन में 5,120 मेगावॉट रहती है। लेकिन पीक ऑवर (शाम 6 बजे से रात तक) में यह मांग 6,500 से 7,000 मेगावॉट से अधिक पहुंच रही है। इसे पूरा करने लगभग 800 मेगावॉट बिजली एचडीपीएम के जरिये ली जा रही है। इसमें अधिकतम 14.50 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी जा रही है।
कई बार इतनी अधिक दर पर भी बिजली नहीं मिलती। 24 अप्रैल को पॉवर कंपनी ने 6,800 मेगावॉट बिजली की मांग का आकलन करते हुए अतिरिक्त बिजली मार्केट से क्रय करने की प्लानिंग की। इसी तरह प्रतिदिन एक अलग टीम प्रदेश में संभावित मांग और आपूर्ति का तालमेल करते हुए पॉवर परचेज करती है। सामान्य तौर पर राज्य में उत्पादित बिजली की दर 4 से 8 रूपए प्रति यूनिट तक रहती है। उपभोक्ताओं के हित में खुले मार्केट से बिजली क्रय करने पर अधिक कीमत देनी पड़ती है।
छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी की क्षमता 2978.7 मेगावॉट है। इसके अलावा राज्य सरकार से अनुबंध के आधार पर सेंट्रल सेक्टर से 3,380 मेगावॉट बिजली मिलती है। इसके अलावा सोलर संयंत्र से लगभग 700 मेगावॉट बिजली मिलती है। सूरज की रोशनी रहने पर ही सोलर संयंत्र से विद्युत उत्पादन होता है, शाम को इससे उत्पादन नहीं होता। शाम को ही पीक ऑवर होता है। रात में घरों में एसी, पंखे, कूलर के साथ ही दूसरी जरूरतें के कारण लोड बढ़ जाता है। प्रदेश में दिन के समय मांग की तुलना में अधिक बिजली रहने पर छत्तीसगढ़ दूसरे राज्यों को बिजली देता है। दिन के समय बिजली की अधिकता रहने पर अभी हिमाचल प्रदेश को 250 मेगावॉट बैंकिंग के जरिये बिजली आपूर्ति की जा रही है। यह बिजली हिमाचल प्रदेश जुलाई, अगस्त, सितंबर में लौटाएगा। इसी तरह पंजाब और दिल्ली को पहले 50-50 मेगावॉट बिजली दी गई थी, जिसे अभी रात के समय दोनों राज्य लौटा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनीज की 250 मेगावॉट की एक इकाई आउटेज में होने के बावजूद अन्य इकाइयों को फुल लोड पर चलाया जा रहा है, वहीं पारेषण कंपनी का राज्य भार प्रेषण केंद्र हर 15 मिनट में पॉवर परचेस करके सप्लाई बनाये हुए है। वितरण कंपनी की टीम विद्युत प्रणाली को लगातार संधारित करके निरंतर आपूर्ति कर रही है।
विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं को बिजली उपलब्ध कराने में छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी के साथ केंद्रीय क्षेत्र की उत्पादन इकाइयां भी अहम भूमिका निभाती हैं। केंद्रीय क्षेत्र की इकाइयों से राज्य का पूर्व निर्धारित हिस्सा प्राप्त होता है। इन दो संस्थाओं के पश्चात निजी विद्युत उत्पादकों से मान्य प्रक्रिया के आधार पर खरीदी की जाती है। विद्युत आपूर्ति के कार्य में छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी तथा स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी की भी अहम भूमिका होती है। इसलिए पारेषण तथा वितरण कंपनियों ने विगत 1 वर्ष में अधोसंरचना विकास पर गंभीरता से ध्यान दिया जिसके कारण बीते एक साल में 33/11 केवी के 56 नए उपकेंद्र बनाए गए हैं। 30 उपकेंद्रों में अतिरिक्त पॉवर ट्रांसफॉर्मर स्थापित किये गए हैं तथा 50 उपकेंद्रों की क्षमता में वृद्धि की गई है। इसके साथ ही घरेलू बिजली आपूर्ति को बेहतर बनाने के लिए 11/0.4 केवी क्षमता के 15 हजार 198 नए ट्रांसफॉर्मर लगाए गए हैं। इसी तरह प्रदेश में 33 केवी, 11 केवी तथा निम्नदाब लाइनों की कुल लंबाई 3,98,559 सर्किट किलोमीटर है।
प्रदेश में पैदा होने वाली बिजली को एक से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए अतिउच्चदाब टॉवर लाइनों तथा उपकेेंद्रों की स्थापना छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा की जाती है। जिसके कारण उच्चदाब उपकेंद्रों की कुल संख्या 132 से बढ़कर 135, उच्चदाब ट्रांसफॉर्मरों की संख्या 335 से बढ़कर 362 हो गई है। उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2023 में ट्रांसफॉर्मरों की कुल क्षमता 24,227 एमवीए थी वह बढ़कर 26,475 एमवीए हो गई है। इसी तरह ट्रांसमिशन लाइनों की लंबाई जो दिसंबर 2023 में 13,934 थी वह बढ़कर 14,462 सर्किट किलोमीटर हो गई है।