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*66th edition of 'Show Must Go On' from the pen of senior journalist Dr. Shireesh Chandra Mishra - When did you work?
पुलिस के एक तेजतर्रार कहे जाने वाले और दो बार के राष्ट्रपति पदक प्राप्त आईजी स्तर के आईपीएस अधिकारी पर एक सब इंस्पेक्टर की पत्नी ने सात साल तक यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। महिला का आरोप है कि साहब से सोशल मीडिया के जरिए दोस्ती हुई फिर वो उन्हें वीडियो कॉल पर योगा सिखाती थी। साहब उसे सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक वीडियो कॉल करते थे। इसी तरह आईजी ने डीजीपी को भेजी शिकायत में महिला पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाकर पारिवारिक जिंदगी बर्बाद करने का आरोप लगाया है। दोनों के आरोपों की जांच एक सीनियर आईजी को सौंपी गयी है। यहां चर्चा का उद्देश्य आरोपों की विषय-वस्तु कदापि नहीं है। लेकिन दोनों के आरोपों में एक कॉमन फैक्टर सामने आया है जिसमें दोनों ने सुबह से रात तक लगातार वीडियो कॉल का जिक्र किया है। अब सवाल यह है कि यदि आईजी साहब सुबह से रात कर वीडियो कॉल में बिजी रहते थे तो काम कब करते थे।
पुलिस का काम राज्य की कानून-व्यवस्था देखना है। लेकिन देखने में आ रहा है कि पुलिस में ऐसे लोग बढ़ते जा रहे हैं। जो हैं तो पुलिस में लेकिन उनकी रुचि गैर-कानूनी कामों में ज्यादा है। पहले भी बिलासपुर में एक आईजी पर महिला कांस्टेबल को लगातार परेशान करने के आरोप लगे थे। एक थानेदार जिसका कुछ समय पहले डिमोशन हुआ था उसने भी बिना लिखित शिकायत और एफआईआर के एक व्यक्ति को डिटेन कर लिया था। इस काम के लिए उसने हवाईयात्रा भी की और अपने से वरिष्ठ किसी अधिकारी से ना तो अनुमति ली थी और ना ही सूचना दी थी। इसी अधिकारी पर अर्से पहले रायपुर में एक व्यापारी से जबरन एटीएम से पैसे निकलवाने का आरोप लगा था। तब के तेजतर्रार कहे जाने वाले पुलिस अधिकारी ने अपने अधीनस्थ अधिकारी के कहने पर इसे बख्श दिया था। हाल ही में क्राइम ब्रांच के कांस्टेबल पर एक व्यापारी की कार से दो लाख चोरी होने के मामले में कार्रवाई हुई है। जिस कांस्टेबल को निलम्बित किया गया है उसका थानों में पदस्थापना के दौरान ट्रैक रिकार्ड ठीक नहीं था फिर भी उसे कैसे क्राइम ब्रांच में पदस्थ कर दिया गया। भाजपा सरकार आने के बाद कई विवादास्पद पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को क्राइम ब्रांच में पदस्थ किया गया था और बाद में आरोपों और शिकायतों पर ही हटाया गया। दरअसल रायपुर क्राइम ब्रांच ने अवैध वसूली को तब सही मायनों में अमलीजामा पहनाया जब एक एडिशनल एसपी जो पिछली सरकार में सबसे ताकतवर था उसने एक संगठित गिरोह की तरह काम करना शुरु किया था। बताया जाता है कि उस दौरान हर मामले में कम से कम दस पेटी की वसूली होती थी।
कभी-कभी ऐसा लगता है कि राज्य में दो कानून हैं। एक कानून सरकारी अधिकारियों औऱ कर्मचारियों के लिए और दूसरा कानून आम लोगों के लिए। इतने सालों में शायद ही कभी सुनने में आया हो कि किसी अधिकारी पर कोई कार्रवाई हुई। कई अधिकारियों और उनके परिवारों पर तरह-तरह के आरोप लगते रहे हैं लेकिन किसी को कभी गिरफ्तार नहीं किया गया। चाहे हाईकोर्ट कितनी भी फटकार लगाये या मीडिया कुछ भी लिखे। मध्यप्रदेश में एक एसडीओपी को कार में मिली रकम को हड़पने के मामले में जेल हो जाती है लेकिन रायपुर में एक ही कार में मिले करोड़ो रुपयों की गड़बड़ी पकड़ में आने के बाद ना तो जांच होती है और ना ही किसी पर कोई कार्रवाई। डीएसपी की पत्नी और मंत्री के पीए की पत्नी के जन्मदिन पर कानूनी की धज्जियां उड़ाने पर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद दिखावटी कार्रवाई ही होती है। जांच के नाम पर अधिकारी अपने महकमे के अधिकारियों को बचा ले जाते हैं। जब भी कार्रवाई होती है तो निचले स्तर के कर्मचारियों पर ही होती है।
छत्तीसगढ़ में चार जिलों के पुलिस कप्तान बदल दिए गए हैं। नये फेरबदल में दो बड़े और सीमावर्ती जिलों की कप्तानी दो महिला अधिकारियों को सौंपी गयी है। जिन चार जिलों के कप्तानों को बदला गया है उनमें से एक जिले की कप्तान को ही फिर से कप्तानी मिली है बाकी को फिलहाल फील्ड से हटाया गया है। जिन जिलों में फेरबदल हुआ है उनमें मुख्य वजह यह थी कि इन अधिकारियों को एक ही जिले में दो साल या उससे ज्यादा समय हो गया था। दूसरी बड़ी वजह परफॉरमेन्स भी रही। जिन तीन कप्तानों को फील्ड से हटाया गया है। उनके जिलों में पिछले कुछ समय से ऐसी गतिविधियां चल रही थीं जिससे पुलिसिंग पर सवाल खड़े हो रहे थे। हालांकि ये तीनों अधिकारी वर्तमान पदस्थापना से ज्यादा अच्छी पोस्टिंग की उम्मीद में थे। लेकिन जब आदेश निकला तो सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। एक एसपी के जिले में उनका खास पुलिसकर्मी लकड़ी की तस्करी करते पकड़ा गया था इस मामले को बाद में किसी तरह रफा-दफा किया गया। वहीं इस जिले में पुलिस की गोलीबारी में एक निर्दोष आदिवासी की मौत हो गयी थी। यहीं पर एक भाजपा नेता के आवेदन पर एफआईआर हो गयी जिसे निगम-मंडल का अध्यक्ष बनाने के नाम पर 40 लाख रुपये ऐंठ लिए गए। दूसरे एक जिले में जुआ और सट्टा खूब फल-फूल रहा था। तीसरे एसपी के जिले में क्राइम रेट इतना बढ़ गया था कि सरकार की रोज-रोज फजीहत हो रही थी। महिला पुलिस कप्तान के अच्छे काम को देखते हुए उन्हें बड़ा जिला दिया गया है। जबकि सीमावर्ती उत्तरी जिले की कमान भी एक महिला अधिकारी को सौंपी गयी है।
प्रदेश में सरकार की आवास और वाहन आबंटन की नीति में ना तो एकरुपता है और ना ही कोई नियम-कानून है। कई अधिकारियों के पास राजधानी के साथ पदस्थापना वाले जिलों में भी सरकारी आवास हैं तो कई के पास अपनी पदस्थापना वाले जिले तक में आवास नहीं है। देवेन्द्र नगर ऑफिसर्स कॉलोनी में कई ऐसे अधिकारी रहते हैं जो या तो संविदा नियुक्ति पर हैं या फिर उन आवासों में रहने की पात्रता नहीं रखते हैं। सबसे दिलचस्प पहलू है कि 2009 में गठित पुलिस की दुर्ग रेंज के आईजी के पास सरकारी कार्यालय तक नहीं है। रेंज बनने के 16 साल बाद भी आईजी कार्यालय बीएसपी के 32 बंगले में चल रहा है। यही हाल अधिकारियों के वाहनों का भी है। छोटे अधिकारी बड़े वाहनों पर चल रहे हैं और बड़े अधिकारी छोटे वाहनों पर चल रहे हैं। सरकार को अंग्रेजों की बनायी व्यवस्था से सीखना चाहिए जहां बड़े अधिकारी का डेकोरम इस तरह से बनाया गया था कि उसके ऑफिस कैम्पस में प्रवेश से लेकर चेम्बर तक पहुंचने में अहसास हो जाता था कि अधिकारी किस स्तर का है। लेकिन वर्तमान शासन व्यवस्था ने और अधिकारियों की कार्यशैली ने सारे भेद मिटा दिए हैं। पदों और कार्यालयों की गरिमा को बहुत हद तक गिरा दिया है।
राज्य गठन के 25 वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नवा रायपुर में विभिन्न कार्यों का लोकार्पण करेंगें। प्रधानमंत्री मोदी नए विधानसभा भवन, प्रजापिता ब्रह्मकुमारी के नये भवन शांति शिखर और ट्राइबल म्यूजियम को लोकार्पण करेंगें। इस दौरान प्रधानमंत्री सत्यसांई अस्पताल में बच्चों के साथ संवाद भी करेंगें। लेकिन अपने इस प्रवास में प्रधानमंत्री का रायपुर आने का कोई कार्यक्रम नहीं है। पीएम मोदी के इस प्रवास में नवा रायपुर के नये स्पीकर हाउस में भोजन का कार्यक्रम प्रस्तावित है। नया स्पीकर हाउस बनकर तैयार हो गया है। पीएम की सुरक्षा के लिहाज से नये स्पीकर हाउस में तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। इसे पीएम के प्रवास के दौरान कैम्प के रुप में इस्तेमाल किया जायेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री दीवाली के मौके पर जेल में बंद अपने बेटे से नहीं मिल पाए। उन्होंने इस बात का जिक्र अपने सोशल मीडिया एकाउन्ट पर किया। जानकारों के अनुसार दो साल पहले जेल में मुलाकात के नियमों में परिवर्तन हुआ है। यही वजह थी कि पूर्व मुख्यमंत्री की अपने बेटे से मुलाकात नहीं हो पायी। लेकिन उनके सोशल मीडिया पोस्ट से भाजपा और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग शुरु हो गयी। जिसमें भाजपा नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री पर राजनीति करने का आरोप लगाया। साथ ही कहा कि जेल में पूर्व मंत्री भी बंद हैं लेकिन उनसे मिलने कांग्रेस का कोई नेता नहीं जाता है। उन्हें फंसाकर भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। उधर जेल में एक अपराधी की सोशल मीडिया रील ने जेल प्रबंधन, वीआईपी ट्रीटमेंट और रेट को लेकर नई बहस छेड़ दी है। वैसे भी कई दिनों से जेल का रेट-कार्ड सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है ऐसे में सरकार को चाहिए कि ऐसे कड़े कदम उठाए ताकि कम से कम जेल की व्यवस्था में पैसे से सुविधा हासिल करने और कमजोर लोगों से वसूली पर रोक लग सके।
शनिवार से प्रदेश में बसों-ट्रकों के ड्राइवर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। छत्तीसगढ़ ड्राइवर महासंगठन की 11 सूत्रीय मांगों में सबसे महत्वपूर्ण मांग पूर्ण शराबबंदी की है। राज्य में पहले जब भाजपा की सरकार थी तब अवैध शराब की बिक्री रोकने के लिए भारत माता वाहिनी और गुलाबी गैंग जैसे महिला संगठन सक्रिय थे। कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले शराब बंदी की बात कही थी,लेकिन आज उसी कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री के बेटे और पूर्व आबकारी मंत्री सहित 13 लोग शराब घोटाले में जेल में बंद है। पहले कहीं-कहीं महिला संगठन शराब बंदी की मांग उठाते रहे थे। लेकिन ये पहला मौका है जब प्रदेश के ट्रक औऱ बस ड्राइवर्स पूर्ण शराब बंदी की मांग उठा रहे हैं। वैसे देखा जा जाए तो जिस तरह से ड्राइवर्स ने अपनी मांगें रखीं हैं उनमें से कई मांगें ऐसी हैं जिन पर सरकार को विचार करना चाहिए। यदि पूर्ण शराब बंदी संभव ना हो तो कम से कम हाईवे के किनारे के ढाबों और रेस्टारेंट में बिकने वाली अवैध शराब और मादक पदार्थों की बिक्री को तो रोका जा सकता है।