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After the Bihar victory, the BJP's 'Operation Bengal' has intensified; six organisational ministers and top leaders will spend five months on the ground.
कोलकाता। बिहार में बड़ी राजनीतिक जीत दर्ज करने के बाद भाजपा अब पश्चिम बंगाल पर पूरा ध्यान केंद्रित कर रही है। मार्च–अप्रैल 2026 में बंगाल विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन पार्टी ने चुनाव से पाँच महीने पहले ही अपनी रणनीतिक तैनाती शुरू कर दी है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश पर छह संगठन मंत्री और छह वरिष्ठ नेताओं को बंगाल में स्थायी तौर पर डेरा डालने भेज दिया गया है।
बिहार-महाराष्ट्र मॉडल की रणनीति बंगाल में लागू
पार्टी सूत्र बताते हैं कि बंगाल में वही फार्मूला अपनाया जा रहा है जो पहले बिहार और महाराष्ट्र में सफल रहा। यह रणनीति लंबे समय तक जमीनी उपस्थिति, सीधी जनसंपर्क नीति और स्थानीय नेतृत्व के साथ समन्वय पर आधारित है।
किसको मिली कौन-सी जिम्मेदारी क्षेत्रवार रणनीतिक तैनाती
उत्तर बंगाल – मालदा सहित रणनीतिक गलियारा
अरुणाचल प्रदेश के संगठन मंत्री अनंत नारायण मिश्र को सौंपी गई जिम्मेदारी।
राढ़बंगा क्षेत्र
छत्तीसगढ़ के संगठन मंत्री पवन साय तैनात, साथ में उत्तराखंड सरकार के मंत्री डॉ. धन सिंह रावत भी काम करेंगे।
हावड़ा, हुगली और मेदिनीपुर बेल्ट
दिल्ली के संगठन मंत्री पवन राणा को नेतृत्व का दायित्व, हरियाणा के वरिष्ठ नेता संजय भाटिया उनके साथ मेदिनीपुर के महत्वपूर्ण राजनीतिक इलाक़े यूपी सरकार के मंत्री जेपीएस राठौर को भी मेदिनीपुर ज़ोन में तैनात किया गया है जो शुभेंदु अधिकारी का राजनीतिक प्रभाव क्षेत्र माना जाता है।
अमित शाह की अगुवाई में चुनावी अथकता
सूत्रों का कहना है कि अमित शाह ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि सभी तैनात नेता चुनाव तक बंगाल में रहकर लगातार मैदान में काम करें, स्थानीय संगठन और बूथ स्तर की गतिविधियों को मजबूत करें, और सीधे जनता से संवाद स्थापित करें।
तृणमूल के गढ़ में सेंध लगाने की तैयारी
BJP की इस कवायद को ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के मजबूत किले में सेंध लगाने की बड़ी तैयारी माना जा रहा है। विशेषकर मालदा, मेदिनीपुर, हावड़ा और राढ़बंगा क्षेत्र को भाजपा रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मान रही है।