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Axiom-4 Mission: Indian astronaut 'Shubhanshu Shukla' created history; wrote this emotional message for his wife Kamna before the launch, know what..
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले शुभांशु शुक्ला ने कल एक अलग ही इतिहास रच दिया है। 25 जून, 2025 को वह नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से एग्ज़िओम-4 मिशन पर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हुए। 41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्रा पर निकला है, इससे पहले 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने यह उपलब्धि हासिल की थी। यह मिशन भारत के लिए बहुत खास है और अंतरिक्ष की दुनिया में देश का बढ़ता नाम दिखाता है।
आपको बता दें कि, शुभांशु शुक्ला अपने साथ पोलैंड, हंगरी और अमेरिका के तीन और अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरिक्ष गए हैं। स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से उनकी ये यात्रा शुरू हुई, जो लगभग 28 घंटे में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक पहुंचेगी। ये रॉकेट करीब 70 मीटर ऊंचा है, यानी कुतुब मीनार जितना। ये 22,000 किलो तक का भार पृथ्वी की निचली कक्षा (लोअर ऑर्बिट) में ले जा सकता है, जो इसे दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट्स में से एक बनाता है।
शुभांशु का ये मिशन 14 दिन का होगा। इस दौरान वे कई वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिसमें सूक्ष्म जीवों (टार्डिग्रेड्स) का अंतरिक्ष में जीवन और खेती की संभावनाओं पर शोध शामिल है। ये प्रयोग हमें ये समझने में मदद करेंगे कि चरम स्थितियों में जीवन कैसे पनपता है और नई तकनीकें कैसे विकसित की जा सकती हैं।
शुभांशु की इस बड़ी उपलब्धि के पीछे उनके परिवार का बड़ा हाथ है। उनकी माँ, आशा शुक्ला, बताती हैं कि शुभांशु पिछले 5-6 सालों से घर का आम खाना नहीं खा रहे हैं, बल्कि वही खाते हैं जो अंतरिक्ष यात्री खाते हैं। उनकी माँ ने ये भी बताया कि उनकी बहू ने शुभांशु के इस सपने को पूरा करने में सबसे ज्यादा मदद की है।
पिता, शंभु दयाल शुक्ला, ने कहा कि उन्होंने हमेशा चाहा था कि, शुभांशु उनसे आगे बढ़ें। शुभांशु पहले यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे, लेकिन देश के लिए कुछ करने का जज्बा इतना था कि उन्होंने एनडीए (NDA) परीक्षा पास कर ली।
अंतरिक्ष में जाने से पहले शुभांशु ने अपनी पत्नी कामना शुभा शुक्ला के लिए एक खास संदेश भी लिखा। उन्होंने कहा कि उनके बिना यह सब संभव नहीं था, क्योंकि "कोई भी व्यक्ति अकेले अंतरिक्ष की यात्रा नहीं करता।" कामना पेशे से डेंटिस्ट हैं और शुभांशु के साथ ही प्राइमरी स्कूल में पढ़ती थीं।
एग्ज़िओम ह्यूस्टन की एक प्राइवेट कंपनी है जो अमेरिकी सरकार के समर्थन से अंतरिक्ष यात्रा करवाती है। यह कंपनी उन देशों को अंतरिक्ष में जाने की सुविधा देती है जिनके पास अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम नहीं है, या जो अपने कार्यक्रम को और मजबूत करना चाहते हैं। शुभांशु का ये मिशन भी एग्ज़िओम-4 के तहत है। उनका मकसद इस अनुभव का इस्तेमाल भारत को स्वतंत्र रूप से लोगों को अंतरिक्ष में भेजने वाला चौथा देश बनाने में मदद करना है।
शुभांशु शुक्ला का ये मिशन भारत के गगनयान कार्यक्रम के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। गगनयान भारत का अपना मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य 2027 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना है। शुभांशु का अनुभव गगनयान की तैयारी में बहुत काम आएगा और यह भारत को अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की सूची में शामिल कर देगा, जिनके पास अपनी मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता है।
शुभांशु शुक्ला ने कहा कि, "यह मेरी उड़ान की शुरुआत नहीं है। यह भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान की कोशिशों की शुरुआत है। मैं आप सभी के साथ हूं।" वाकई, शुभांशु की ये उड़ान भारत के लिए अंतरिक्ष में एक नई सुबह की तरह है।