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BREAKING CG: Major operation successful in Bijapur, 18 Naxalites killed, those carrying rewards worth 1.30 crore killed; search continues in the area.
जगदलपुर। बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में स्थित गंगालूर-जांगला-भैरमगढ़ का घना जंगल, जिसे कभी देशभर में ‘माओवादी फैक्ट्री’ के नाम से जाना जाता था, अब अपनी पकड़ खो चुका है। बुधवार को बीजापुर–दंतेवाड़ा की सीमा पर कचीलवार–पोटेनार के जंगलों में 23 घंटे तक चले ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने 18 माओवादी हिंसकों को ढेर कर दिया। इनमें 9 महिला माओवादी भी शामिल हैं। यह बीजापुर के इतिहास के सबसे निर्णायक अभियानों में गिना जा रहा है क्योंकि इससे गंगालूर और भैरमगढ़ क्षेत्र बड़े पैमाने पर माओवादी प्रभाव से मुक्त हो गया है। जनवरी 2024 से अब तक राज्य में 500 से अधिक माओवादी मारे जा चुके हैं।
10 लाख के इनामी वेल्ला मोड़ियम समेत 1.30 करोड़ के इनामी माओवादी ढेर
मारे गए माओवादियों में पीएलजीए कंपनी नंबर-2 का कुख्यात डीवीसीएम वेल्ला मोड़ियम भी शामिल है, जिस पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित था। वेल्ला को गंगालूर का सबसे प्रभावशाली प्रशिक्षक और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का रणनीतिक चेहरा माना जाता था।
पुलिस रिकॉर्ड में उसके नाम झीरम, मिनपा, केशकुतुल जैसे 44 से अधिक हमलों का इतिहास दर्ज है। उसके साथ दो अन्य शीर्ष डीवीसीएम रैनू ओयाम और सन्नू अवलम, सात पीपीसीएम, छह महिला पीएलजीए कैडर और कई दस्तों के प्रमुख सदस्य भी मारे गए। इन सभी पर मिलाकर 1.30 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था।
‘माओवादी फैक्ट्री’ का 30 साल पुराना किला ढहा
पिछले तीन दशकों में गंगालूर को माओवादियों का एक अघोषित प्रशिक्षण केंद्र माना जाता था, जहां जंगल की आड़ में बच्चों को पढ़ाई नहीं बल्कि बंदूकें और हिंसा का प्रशिक्षण दिया जाता था। यहां चलने वाले मोबाइल पॉलिटिकल स्कूल (मोपास) में 5–6 साल के बच्चों को अक्षरज्ञान की जगह घृणा, युद्ध और हथियारों का पाठ पढ़ाया जाता था। सलवा जुडूम के बाद यहां की भर्ती बेलगाम हो गई और सैकड़ों आदिवासियों को हथियार थमा कर बिहार, बंगाल और झारखंड तक भेजा जाता था।
सुरक्षा बलों की कैंप रणनीति से ढह गया तंत्र
2017 के बाद डुमरीपालनार, पालनार और चिंतावागु में कैंप खुलने के बाद माओवादी नेटवर्क धीरे-धीरे बिखरने लगा। लगातार मुठभेड़ों में सौ से अधिक माओवादी मारे गए और वेल्ला के खात्मे के साथ इस तथाकथित ‘फैक्ट्री’ की रीढ़ टूट गई।
मुठभेड़ स्थल से 19 हथियार बरामद
सुरक्षा बलों ने मौके से एलएमजी, चार एके-47, चार एसएलआर, इंसास, 303 राइफलें, बीजीएल लांचर, सिंगल शॉट गन सहित कुल 19 हथियार, रेडियो सेट, हैंड ग्रेनेड, विस्फोटक और भारी मात्रा में साहित्य बरामद किया। पुलिस का दावा है कि इससे गंगालूर क्षेत्र की सशस्त्र क्षमता लगभग समाप्त हो चुकी है।
तीन जवानों ने पाई वीरगति, बीजापुर में अंतिम विदाई
इस अभियान में बहादुरी से लड़ते हुए डीआरजी बीजापुर के प्रधान आरक्षक मोहन बड़दी, दुकारूराम गोंदे और रमेश सोढ़ी वीरगति को प्राप्त हुए।
गुरुवार को बीजापुर जिला मुख्यालय में उन्हें ससम्मान अंतिम सलामी दी गई।
माओवादी हिंसा के अंत का संकेत: IG सुंदरराज
रेंज आईजी सुंदरराज पी. के अनुसार यह मुठभेड़ माओवादी तंत्र के अंतिम पतन का संकेत है। माओवादी अब पूरी तरह घिर चुके हैं, और उनके पास हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।