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Big news HAL will now make rockets another big leap in India's space sector
नई दिल्ली। भारत के एयरोस्पेस सेक्टर में एक बड़ी खबर सामने आई है। अब तक विमान और हेलीकॉप्टर बनाने वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) रॉकेट बनाने के मैदान में भी उतर गई है। कंपनी को स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) बनाने का बड़ा ठेका मिला है, जिससे वो सीधे तौर पर देश की तीसरी रॉकेट निर्माण कंपनी बन गई है।
HAL ने यह ठेका 511 करोड़ रुपये की बोली लगाकर हासिल किया है। यह कॉन्ट्रैक्ट भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और IN-SPACe (इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथोराइजेशन सेंटर) ने मिलकर दिया है। खास बात ये है कि इस बोली में HAL ने अडाणी ग्रुप की अल्फा डिज़ाइन और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) जैसी बड़ी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया। HAL ने अकेले ही बोली लगाई, जबकि बाकी कंपनियों ने मिलकर बोलियां लगाई थीं।
SSLV एक छोटा और सस्ता रॉकेट है, जो 500 किलोग्राम तक के छोटे सैटेलाइट्स को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने की क्षमता रखता है। यह छोटे सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजने का एक किफायती और प्रभावी तरीका है।
इस प्रोजेक्ट के तहत, ISRO अगले दो सालों में HAL को SSLV टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करेगा और उन्हें दो SSLV रॉकेट बनाने और लॉन्च करने के लिए पूरी ट्रेनिंग और मदद भी देगा। इसका मकसद HAL को इस तकनीक में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना है ताकि वो भविष्य में खुद ही लॉन्च सर्विस दे सके।
यह कदम भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अभी तक रॉकेट बनाने का काम मुख्य रूप से ISRO या उसकी कमर्शियल शाखा, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) करती थी।
अब HAL जैसी सरकारी कंपनी के इस क्षेत्र में आने से 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा मिलेगा और भारत की वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी। अभी भारत की वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में सिर्फ 2% हिस्सेदारी है, जिसे सरकार 2030 तक 8% तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इस खबर के बाद शुक्रवार को HAL के शेयर में भी उछाल देखा गया, जिससे पता चलता है कि निवेशक भी इस कदम को सकारात्मक रूप से देख रहे हैं।