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CG Breaking: ACS Manoj Pingua appointed nodal officer for Census 2027, see order
नई दिल्ली/ रायपुर। भारत में जनगणना का एक महत्वपूर्ण और विशाल अभ्यास 2027 में होने जा रहा है। यह जनगणना कई मायनों में खास होगी, क्योंकि यह पहली बार होगी जब जातिगत जनगणना भी इसके साथ कराई जाएगी। केंद्र सरकार ने 16 जून को इसकी अधिसूचना जारी कर दी है, जिससे इस वृहद कार्य की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
भारत में हर 10 साल पर होने वाली जनगणना देश की तस्वीर प्रस्तुत करती है। इसके माध्यम से देश की आबादी, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और अन्य महत्वपूर्ण आंकड़े एकत्र किए जाते हैं। ये आंकड़े सरकार को विभिन्न नीतियों और योजनाओं के निर्माण में मदद करते हैं, जिससे देश के विकास को सही दिशा मिल सके। जनगणना केवल संख्याएं नहीं होतीं, बल्कि वे लोगों के जीवन स्तर, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच को भी दर्शाती हैं। यह दुनिया के सबसे बड़े प्रशासनिक अभ्यासों में से एक है, जिसे गृह मंत्रालय के तहत आने वाला ऑफिस ऑफ रजिस्ट्रार जनरल और सेंसस कमिश्नर द्वारा संपन्न कराया जाता है।
इस विशाल कार्य को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना अत्यंत आवश्यक है। इसी क्रम में, हर राज्य में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में इस समन्वय की जिम्मेदारी ACS मनोज कुमार पिगुआ को सौंपी गई है। उनकी नियुक्ति इस बात का प्रमाण है कि, सरकार जनगणना की प्रक्रिया को कितनी गंभीरता से ले रही है। हाल ही में मनोज कुमार पिगुआ को लेकर छत्तीसगढ़ के नए मुख्य सचिव बनने की अटकलें थीं, लेकिन अमिताभ जैन को सेवा विस्तार मिलने के बाद उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।
कोरोना महामारी के कारण 2021 में होने वाली जनगणना को टाल दिया गया था। अब यह जनगणना 2025 में शुरू होकर 2027 तक पूरी होगी। इस बदलाव के कारण जनगणना के चक्र में भी संशोधन किया गया है, और अगली जनगणना अब 2035 में होगी।
यह जनगणना प्रक्रिया दो चरणों में पूरी की जाएगी:
पहला चरण: यह 1 अक्टूबर 2026 तक पूरा किया जाएगा।
दूसरा और अंतिम चरण: यह 1 मार्च 2027 तक पूरा होगा।
1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि को जनगणना के लिए रेफरेंस डेट माना जाएगा। इस तिथि तक देश की जनसंख्या और सामाजिक स्थिति के जो भी आंकड़े होंगे, वही रिकॉर्ड में दर्ज किए जाएंगे और इसके बाद ही आंकड़े सार्वजनिक रूप से सामने आने लगेंगे। कुछ राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड जैसे हिमालयी और विशेष भौगोलिक परिस्थितियों वाले क्षेत्रों में यह प्रक्रिया अन्य राज्यों से पहले, अक्टूबर 2026 तक पूरी कर ली जाएगी। इन इलाकों में मौसम की कठिनाइयों और दुर्गम क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। इन राज्यों के लिए 1 अक्टूबर 2026 को रेफरेंस डेट माना जाएगा। यह विशेष प्रावधान यह सुनिश्चित करेगा कि दुर्गम क्षेत्रों में भी जनगणना का कार्य समय पर और कुशलता से संपन्न हो सके।