Copyright © 2025 rights reserved by Inkquest Media
अन्य समाचार
CG Breaking: High Court stays transfer of teacher, committee will investigate the matter, see order
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक शिक्षिका के तबादले पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह फैसला गायत्री वर्मा नाम की एक बायोलॉजी लेक्चरर की याचिका पर सुनाया है, जिन्हें 'सरप्लस' (अतिरिक्त) घोषित कर ट्रांसफर कर दिया गया था।
बता दें कि गायत्री वर्मा, जो फिलहाल रायपुर के शासकीय हाई स्कूल उरकुरा में पढ़ा रही थीं, उन्होंने अपने तबादले के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनकी दलील थी कि सरकार द्वारा सरप्लस शिक्षकों की जो लिस्ट जारी की गई है, वह सही नहीं है और उनके साथ अन्याय हुआ है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उन्हें अपनी बात रखने का ठीक से मौका नहीं दिया गया।
गायत्री वर्मा के वकील ने कोर्ट में यह भी बताया कि, सरकारी नियमों के अनुसार, सरप्लस घोषित करते समय सबसे जूनियर शिक्षक को पहले हटाया जाना चाहिए। लेकिन इस मामले में, गायत्री वर्मा अन्य शिक्षकों से सीनियर हैं, फिर भी उन्हें ही सरप्लस घोषित करके रायपुर के उरकुरा स्कूल से महासमुंद जिले के पिथौरा ब्लॉक में स्थित शासकीय हाई स्कूल कोंडा में ट्रांसफर कर दिया गया।
वहीं, राज्य सरकार की ओर से वकील ने कोर्ट को बताया कि यह ट्रांसफर रिकॉर्ड की पूरी जांच के बाद ही किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि गायत्री वर्मा का विषय अन्य शिक्षकों के विषय से अलग है। सरकार ने यह भी कहा कि, अगर गायत्री वर्मा को कोई आपत्ति है, तो वह संबंधित कमेटी के सामने अपनी बात रख सकती हैं और कमेटी नियमों के अनुसार फैसला लेगी।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल ने आदेश दिया कि श्रीमती गायत्री वर्मा अगले पांच दिनों के भीतर संबंधित विभागीय युक्ति युक्तिकरण समिति के सामने अपनी नई शिकायत दर्ज कराएं। उन्हें 25 जून 2025 को कमेटी के सामने पेश होना होगा। कोर्ट ने कमेटी को निर्देश दिया है कि, वे गायत्री वर्मा की शिकायत पर सात दिनों के भीतर नियमों के अनुसार, खासकर 2 अगस्त 2024 के युक्ति युक्तिकरण निर्देशों के नियम 7(c)(3) के तहत निष्पक्ष तरीके से फैसला करें।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, कोर्ट ने आदेश दिया है कि जब तक कमेटी इस मामले पर कोई फैसला नहीं ले लेती और उसकी जानकारी गायत्री वर्मा को नहीं दे देती, तब तक उनके ट्रांसफर के आदेश पर रोक रहेगी। इस आदेश के साथ ही यह याचिका अब बंद कर दी गई है।