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CG News Chhattisgarh Bharatmala Project Scam Revenue Department gave instructions to collectors of 11 districts to investigate
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित भारतमाला सड़क परियोजना घोटाले की जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है। रायपुर के अभनपुर क्षेत्र में सैकड़ों करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में भूमि अधिग्रहण मामलों की जांच के निर्देश दिए हैं। जिसके लिए राज्य के 11 जिलों के कलेक्टरों को मुआवजा घोटाले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस जिलों में रायपुर, दुर्ग, धमतरी, कांकेर, कोंडागांव, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, राजनांदगांव, बिलासपुर, और जांजगीर-चांपा शामिल है। इस मामले की जांच निम्न बिंदु तय किये गए हैं, जिनमे:-
i. संलग्न प्रपत्र अनुसार जानकारी पत्र प्राप्ति दिनांक के 15 दिवस के भीतर तैयार करने विभागीय वेबसाईट पर प्रदर्शित किए जाने हेतु विभाग को उपलब्ध कराना।
ii. प्राप्त जानकारी के संबंध में प्रदर्शितआदेश जारी कर जन सामान्य से 15 दिवस में भूमि अर्जन की प्रक्रिया के संबंध में शिकायत प्राप्त किया जाना है।
iii. प्राप्त शिकायतों पर 15 दिवस में कार्यवाही किया जाना है।

राजस्व सचिव ने इस आदेश में संपूर्ण बिन्दुओं पर जांच कर 03 माह में पूरा करने को कहा है, साथ ही अधिकारियों/कर्मचारियों की जिम्मेदारी का निर्धारिण कर, उनके विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का प्रस्ताव विभाग को उपलब्ध कराने एवं भूमि अर्जन की प्रक्रिया में प्रभावी सुधार हेतु उपाय/सुझाव प्रदान करना सुनिश्चित करने को भी कहा है।
राजस्व सचिव ने इस मामले में 1 जनवरी 2019 के बाद के सभी सरकारी और गैर-सरकारी भूमि अधिग्रहण प्रकरणों की जांच के आदेश दिए हैं। इसके तहत सभी संभागीय आयुक्तों को 15 दिनों के भीतर जानकारी तैयार कर विभागीय वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही जन सामान्य से 15 दिवस में भूमि अर्जन की प्रक्रिया के संबंध में शिकायत प्राप्त किया जाना है, और प्राप्त शिकायतों का 15 दिनों में निराकरण भी किया जाना है।
अब जरा बात करें प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय के उस निर्देश की जिसमें उन्होंने सभी विभागों से कहा था कि समस्त फाइलें, आदेश-निर्देश ऑनलाइन किये जाएं और उसी के अनुरूप कार्यवाही भी की जाये। दरअसल ऐसा विभागीय कामकाज में तेजी लाने के उद्देश्य से करने को कहा गया है।
केंद्र में तो यह प्रक्रिया अमल में लायी जा चुकी है, मगर डबल इंजन की सरकार के दूसरे हिस्से यानि राज्य सरकार के विभागों का ढीलाढाला रवैया अब भी जारी है। इसका जीता-जागता उदहारण राजस्व सचिव द्वारा जारी किया यह पत्र है। अविनाश चम्पावत के डिजिटल हस्ताक्षर से यह आदेश 18 मार्च को सभी संभागायुक्तों को जारी हुआ। जो संबंधित जिलों के कलेक्टरों से होते हुए जांच के लिए तहसीलदारों को 28 मार्च को जारी हुआ है। हम बात कर रहे हैं रायपुर जिले की, जहां अभनपुर ब्लॉक के SDM ने संबंधित तहसीलदारों को इस संबंध में पत्र 28 मार्च को जारी किया है।

मुख्य बात यह है कि, कोरबा जिले में भारतमाला प्रोजेक्ट से संबंधित इलाकों के SDM की ओर से आज दिनांक तक इस तरह का कोई भी पत्र जारी ही नहीं किया गया है। उम्मीद है कि दूसरे जिलों का भी यही हाल होगा। अब सवाल यह उठता है कि अरबों के इस घोटाले की जांच को लेकर अफसर कितने गंभीर हैं। सच तो यह है कि 5 साल पहले शुरू हुई भारतमाला परियोजना से जुड़े राजस्व विभाग के अधिकांश अफसरों का तबादला हो चुका है और इनमें से तो कई का प्रमोशन भी हो गया है।
प्रदेश में चाहे राजधानी के रामा बिल्डकॉन से जुड़ा जमीन का घोटाला हो या भारतमाला परियोजना जैसा घोटाला, सभी मामलों में अफसर एक-दूसरे को बचाते हुए साफ नजर आते हैं। रामा बिल्डकॉन वाले मामले की जांच में संभागायुक्त ने किसी भी अफसर को जिम्मेदार नहीं ठहराया, वहीं अभनपुर की भारतमाला परियोजना की जांच रिपोर्ट वाली फाइल महीनों तक दबी रही और जब नेता प्रतिपक्ष ने यह मामला उठाया तो पहले नायब तहसीलदार और पटवारी को निलंबित किया गया। जब मामले ने तूल पकड़ा तो आखिरकार तब के SDM रहे अफसरों पर कार्यवाही की गई। ऐसा ही कुछ अब भी नजर आ रहा है। राजस्व सचिव को आदेश दिए हुए 20 दिन बीत चुके हैं, मगर जिलों में या तो जांच शुरू नहीं हुई है या फिर उसमें गति नहीं आयी है। देखना है कि इस मामले को लेकर संबंधित जिलों में आम-अवाम से कब तक शिकायतें मंगाई जाती हैं और जांच की प्रक्रिया (औपचारिकता) कब तक पूरी की जाती है।
वहीं, छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इस घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर CBI जांच की मांग की है। उन्होंने यह मुद्दा विधानसभा बजट सत्र 2025 में भी प्रमुखता से उठाया था।
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ से विशाखापत्तनम तक 950 किलोमीटर लंबा फोरलेन और सिक्स लेन सड़क निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए राज्य में किसानों से बड़ी मात्रा में जमीन अधिग्रहित की गई है। 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अगर किसी किसान की 5 लाख की जमीन ली जाती है तो उसे 5 लाख का मूल्य और 5 लाख का सोलेशियम यानी कुल 10 लाख रुपये मिलते हैं। यह मुआवजा अधिकतम 4 गुना तक भी जा सकता है। लेकिन इसी प्रक्रिया में घोटाला हुआ, और कुछ लोगों को फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर करोड़ों की राशि दे दी गई, जबकि असली हितग्राहियों को आज भी मुआवजे का इंतजार है।
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