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CG News Know why the festival of Chherchhera is celebrated in Chhattisgarh What is the mythological belief behind it know everything in one click
रायपुर। छेरछेरा त्यौहार छत्तीसगढ़ का लोकपर्व है। जिसे प्रदेश के छोटे बच्चे से लेकर बड़े बुजुर्ग तक सभी बड़ी धूम धाम से मनाते है। छेरछेरा हर साल पौष मास के पूर्णिमा के दिन त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, इसी दिन बच्चे सभी के घरों में जाकर नई फसल होने की खुशी में गाँव गली मोहल्ले में घूम घूम कर धान मांगते है।
आपको बता दें कि, प्रदेश के किसान इस दिन नई फसल उपजने की ख़ुशी जाहिर करने के लिए इस पर्व को मनाते है। मान्यता है कि, इस दिन पूर्णिमा होने के कारण यह त्यौहार अत्यंत ही शुभ माना जाता है। छत्तीसगढ़ में धान को माता अन्नपूर्णा देवी का स्वरूप माना जाता है। इस पर्व को मानने वालों के घर में कभी धन सम्पदा की कमी नहीं होती है। इस दिन माता लक्ष्मी और शाकम्भारी देवी की पूजा अर्चना की जाती है, साथ ही अन्न का दान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन बूढ़े बच्चे सभी मिलाकर विधि विधान से पूजन करने के बाद धान मांगने जाते है।
छेरछेरा पर्व को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। इसीलिए इस दिन लोग दान को पुण्य का कार्य मानते हैं। साथ ही, इस दिन को मां शाकंभरी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। छेरछेरा पर्व पर बच्चों, युवाओं और महिलाओं की टोलियां गांवों और शहरों में ‘छेरछेरा, कोठी के धान ल हेरहेरा’ कहते हुए घर-घर जाकर दान मांगती हैं। लोग इन टोलियों को धान, अनाज, साग-भाजी, फल और पैसे खुशी-खुशी दान में देते हैं। यह पर्व आत्मीयता, सहयोग और समर्पण की भावना को प्रकट करता है।