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Chhattisgarh PSC recruitment scam: High Court takes tough stand, bail plea of 3 accused rejected..
रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (PSC) भर्ती घोटाले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है, कोर्ट ने इस मामले में सख्ती दिखाई है। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) के भर्ती घोटाले में तीन आरोपियों को हाई कोर्ट से ज़मानत नहीं मिली है।
सीबीआई ने इन तीनों को गिरफ्तार किया था। जस्टिस बिभू दत्त गुरु ने ज़मानत याचिकाएं खारिज करते हुए बहुत सख़्त बात कही। उन्होंने कहा, "जो लोग कॉम्पिटिटिव एग्ज़ाम के पेपर लीक करते हैं, वे लाखों युवाओं का भविष्य बर्बाद करते हैं। यह काम तो हत्या से भी ज़्यादा गंभीर है, पेपर लीक करके पीएससी जैसी बड़ी संस्था को शर्मसार किया गया है।"
इन गिरफ्तार लोगों में से एक पीएससी में परीक्षा नियंत्रक था, जबकि बाकी दो पर गलत तरीके से चुने जाने का आरोप है। तीनों ने हाई कोर्ट में ज़मानत अर्जी दी थी और कहा था कि, उन्हें झूठे केस में फंसाया गया है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि, पीएससी के नियमों के हिसाब से भतीजा 'परिवार' की परिभाषा में नहीं आता।
CGPSC में 2020 से 2022 के बीच हुई परीक्षाओं में बड़ी गड़बड़ियाँ सामने आई थीं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की थीं, जिसके बाद मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई की जांच में पता चला कि, पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह के कहने पर बड़े पैमाने पर पेपर लीक हुए थे।
आरोप है कि, पेपर उनके दो भतीजों नितेश सोनवानी और साहिल सोनवानी को दिए गए थे। फिर परीक्षा नियंत्रक ललित गणवीर ने इन्हें बजरंग पावर एंड इस्पात के निदेशक श्रवण गोयल तक पहुंचाया, जिन्होंने ये पेपर अपने बेटे शशांक गोयल और बहू भूमिका कटियार को दिए। इसी वजह से इन सभी को डिप्टी कलेक्टर और डीएससी जैसे बड़े पद मिले थे। कोर्ट का यह कड़ा रुख उन लोगों के लिए एक साफ संदेश है जो लाखों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करते हैं।