Chhattisgarh close to freedom from red terror After four decades Rajnandgaon Khairagarh and Kawardha are free from Naxalism Central Government announced
राजनांदगांव। पिछले चार दशक से लाल आतंक से जूझ रहे अविभाजित जिले राजनांदगांव के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। केंद्र सरकार ने राजनांदगांव, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और कवर्धा जिले को नक्सल मुक्त घोषित कर दिया है। वहीं मोहला-मानपुर-चौकी जिले को हाई नक्सल इलाके के बजाय एलडब्लूई की श्रेणी में तब्दील कर दिया है। नक्सल मुक्त होने के बाद अब विकास कामों में तेजी लाए जाने के निर्देश भी जारी हुए हैं। अविभाजित राजनांदगांव जिले में नक्सलियों के खिलाफ जंग लड़ने के लिए केंद्र सरकार ने आईटीबीपी की चार बटालियन की तैनाती यहां की है। वहीं गृह मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ में बस्तर के सिर्फ चार जिलों को भी अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र में रखा है।
बता दें कि अविभाजित राजनांदगांव में सन् 1992 में पहली नक्सल घटना बकरकट्टा में हुई थी। इसके बाद पिछले 35 सालों में नक्सलियों ने मोहला-मानपुर से लेकर कवर्धा जिले तक रेड कारीडोर तक तैयार कर लिया था। 2015 में कवर्धा जिले में नक्सलियों ने अपनी उपस्थिति का अहसास कराया था।
इन सालों में नक्सलियों ने उत्पात मचाते हुए न केवल ग्रामीणों की हत्या की, बल्कि उनसे लोहा लेने के दौरान सैकड़ों जवान भी शहीद हुए। अब केंद्र के साथ विष्णुदेव सरकार की आक्रामक रणनीति और लगातार चलाए जा रहे आपरेशन के चलते नक्सली पिछले कुछ सालों से बैकफुट पर आ गए थे।
नक्सल प्रभावित इलाकों में कैंप खोलकर वहां विकास काम तेजी के साथ पूरे कराए जा रहे हैं। नक्सल मुक्त की श्रेणी में आने के बाद इन जिलों में तैनात फोर्स को भी बस्तर भेजे जाने की चर्चा है। दो कंपनियों को यहां से रवाना भी कर दिया है।
केंद्र सरकार द्वारा नक्सल जिलों में विकास कामों के लिए हर साल 30 करोड़ रुपए की राशि जारी की जाती थी। नक्सल मुक्त होने के बाद अब इन तीनों जिलों को अब यह राशि जारी नहीं होगी। वहीं मोहला-मानपुर- चौकी जिले में एलडब्लूई के तहत करीब 10 करोड़ रुपए ही जारी होंगे।
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