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Contractor Suresh suspected in the murder of Mukesh Chandrakar had published the story of his struggle on a full page in a reputed newspaper on January 1
रायपुर। बस्तर के युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के मामले में बीजापुर संदिग्ध सड़क ठेकेदार ने 1 जनवरी के अंक में एक नामी अखबार में फुल पेज एडवोटोरियल छपवाया था और उसी शाम मुकेश गायब हो गया था। संभवत अपने काले कारनामों पर पर्दा डालने के लिए सुरेश ने हत्या और खुद की पब्लिसिटी की प्लानिंग 24 दिसम्बर को ही कर ली थी जब एनडीटीवी में सड़क निर्माण की भ्रष्टाचार की परतें खोली गयी थीं।
सब कुछ अचानक से नहीं हुआ। अखबार के इम्पैक्ट फीचर पेज में जिस तरह से फुल पेज का एडवोटोरियल तस्वीरों के साथ छपवाया गया और अखबार के बंटने के दिन और मुकेश के गायब होने का एक ही दिन महज संयोग नहीं है। इम्पैक्ट फीचर पेज में अखबार ने सुरेश को सामाजिक कार्यकर्ता और प्रेरक उद्यमी के रुप में महिमामंडित करने का प्रयास किया। बीजापुर जनसंख्या के लिहाज से छोटा जिला हो सकता है लेकिन क्षेत्रफल और नक्सल प्रभावित होने के कारण विकास की दृष्टि से बड़ा जिला है। ऐसे छोटे जिले में 120 करोड़ रुपये का काम करने वाला ठेकेदार कितना शक्तिशाली हो सकता है इसका अंदाज लगाया जा सकता है। इतना बड़ा काम बिना किसी राजनीतिक रसूख के मिलना असंभव है। जब बड़े राष्ट्रीय चैनल में भ्रष्टाचार की परतें उधड़ना शुरु हुईं तो ठेकेदार ने देश-प्रदेश के सबसे ज्यादा प्रसार वाले अखबार में अपने संघर्ष की कहानी और सफलता के कसीदों से भरा फुल पेज का एडवरटाइजमेन्ट छपवा दिया। जो 1 जनवरी की सुबह बीजापुर में वितरित हुआ और उसी शाम मुकेश गायब हो गया जिसका शव 3 जनवरी को ठेकेदार के परिसर के सेप्टिक टैंक से बरामद हुआ। जिसमें हत्या के बाद मुकेश का शव फेंककर उसकी नई छत ढाल दी गयी थी।
उल्लेखनीय है कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने एनडीटीवी के लिए 24 दिसम्बर को ठेकेदार के खिलाफ भ्रष्टाचार की रिपोर्ट बनायी थी ,जिसमें गंगालूर से नेलसनार तक बन रही सड़क के निर्माण में भ्रष्टाचार को दिखाया गया था।
इस रिपोर्ट में गंगालूर से हिरौली कैम्प इलाके तक बनी सड़क में 30 से ज्यादा गड्ढों को दिखाते हुए निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए गए थे। 52 किलोमीटर लम्बाई की सड़क निर्माण का प्रोजेक्ट 120 करोड़ रुपये का था जिसमें से 40 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका था। इस रिपोर्ट के प्रसारण के बाद पीडब्ल्यूडी के जगदलपुर ऑफिस ने जांच कमेटी का गठन किया था। रिपोर्ट के बाद कलेक्टर संबित मिश्रा ने ठेकेदार को गुणवत्तापूर्ण कार्य करने के निर्देश दिए थे।