Crackdown on Ola-Uber! Allegations of fare manipulation will be investigated
नई दिल्ली। ओला और उबर जैसी राइड-हेलिंग कंपनियों पर एंड्रॉयड यूजर्स की तुलना में आईफोन यूजर्स से ज्यादा किराया वसूलने का आरोप लगा है। सरकार ने बीते बुधवार को संसद को बताया कि, इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जा रहा है। सच्चाई सामने लाने के लिए जांच शुरू कर दी गई है।
उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि, ओला और उबर दोनों ने उपकरणों और ऑपरेटिंग सिस्टम के आधार पर अलग-अलग किराया तय करने के आरोपों से साफ इनकार किया है। ये आरोप इस साल 10 फरवरी को केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए पत्र के जवाब में लगाए गए थे। फिर भी, एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जोशी ने उल्लेख किया, "चूंकि दोनों कंपनियों ने आरोपों से इनकार किया है, इसलिए मामले को गहन जांच के लिए महानिदेशक (जांच) को भेज दिया गया है।"
बता दें कि, जनवरी में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला कि यात्रियों ने "डार्क पैटर्न" की मौजूदगी का संकेत दिया। इन पैटर्न में गैर-वाजिब तरीके से कीमतें बदलना, जबरन वसूली और छिपे हुए शुल्क शामिल हैं, जो मूल्य निर्धारण में हेरफेर के बारे में चिंताएँ बढ़ाते हैं। सांसदों के सवालों के जवाब में, जोशी ने कहा कि, उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020, प्लेटफ़ॉर्म कंपनियों को उपभोक्ताओं पर अनुचित मूल्य लगाकर अनुचित लाभ प्राप्त करने से रोकते हैं।
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