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वरिष्ठ पत्रकार डॉ. शिरीष चन्द्र मिश्रा की कलम से..'शो मस्ट गो ऑन' का 34वां एडिशन- 'सीबीआई की रट'

By: डॉ. शिरीष चन्द्र मिश्रा
Raipur
3/15/2025, 10:43:42 PM
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From the pen of senior journalist Dr Shireesh Chandra Mishra 34th edition of Show Must Go On CBI ki ratt

सीबीआई की रट

कांग्रेस की जब से सरकार गयी है तब से पार्टी के कुछ नेता, विधायक और पदाधिकारियों का सीबीआई पर विश्वास बढ़ गया है। जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी तब राज्य में सीबीआई को बैन किया गया था। अब कोई इन लोगों से पूछे कि जब सरकार थी तब क्यों बैन किया था और अब क्यों हर मामले में सीबीआई जांच की रट लगा रहे हैं। विधानसभा के अंदर नेता-प्रतिपक्ष औऱ बाहर संगठन के कुछ पदाधिकारी लगातार मांग कर रहे हैं। लेकिन सीबीआई बैन करने में कांग्रेस की सरकार और संगठन की कितनी भूमिका थी, ये तो कांग्रेस के लोग ही बेहतर बता सकते हैं।

Girl in a jacket

खुशी ज्यादा दिन नहीं रह पायी

साहब को पिछले हफ्ते सीबीआई कोर्ट ने आरोपों से मुक्त कर दिया था। पूरी टीम खुश थी कि जबलपुर के अधिवक्ता का दांव काम आ गया। लेकिन साहब की टीम की खुशी एक हफ्ते भी नहीं टिक पायी और सीबीआई ने नया दांव खेल दिया जिसकी कल्पना साहब, उनकी टीम और लाखों रुपये की फीस लेकर सलाह देने वाले कानूनविद भी नहीं कर सकते थे। सीबीआई ने चुपचाप सीआरपीसी के सेक्शन 397 का उपयोग करके डीजे की कोर्ट में रिवीजन फाइल कर दिया और वहां से सीबीआई की विशेष अदालत के स्पेशल जज ट्रायल को पिटीशन ट्रांसफर हो गयी। अब कहानी फिर से वहीं पहुंच गयी जहां पर थी ,यानी कि 99 के फेर में। वैसे आज तक स्पेशल कोर्ट से चार्जेस हटने के बाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में रिवीजन के मामले सुनाई में नहीं आये थे। आमतौर पर ऐसे मामलों में हाईकोर्ट ही जाने का एक-मात्र रास्ता बचता है,लेकिन सीबीआई ने कानून के उस प्रावधान को खोजा औऱ उसका उपयोग कर लिया जिसके बाद से सन्नाटा छा गया है।

ईडी का स्ट्राइक रेट

होली के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स की जिसमें मुख्य रुप से उन्होंने शराब घोटाले पर चर्चा की । अपनी चर्चा में कांग्रेस विधायक को शराब घोटाले में मिले विधानसभा के जबाव को मीडिया को दिया। साथ ही बताया कि कैसे ईडी बिना बात के शराब की बिक्री को घोटाला साबित करने में लगी है जबकि जितनी राशि का घोटाला बताया जा रहा है उसकी दस प्रतिशत राशि के बराबर भी आरोपियों की सम्पत्तियां नहीं जिसमें उन सभी की पुश्तैनी जमीन-जायदादें भी शामिल हैं। ये अच्छा दावा है लेकिन कितने लोग हैं जो विधानसभा के सवालों के जबाव और उनके निहितार्थ समझते होंगें कि वो प्रेस कॉन्फ्रेन्स में जो कहा जा रहा है उस पर प्रति-प्रश्न कर सकें। खैर केन्द्रीय एजेन्सी की जांच और सरकार के जबाव के बीच एकरुपता भी नहीं हो सकती। जब जांच ईडी कर रही है तो स्वाभाविक रुप से दस्तावेज भी ईडी के पास ही होंगें। विधानसभा के सवाल और सूचना के अधिकार के सवाल में अन्तर होता है और सरकार ईडी से पूछकर तो जबाव नहीं दे सकती और ना ही ईडी सरकार से पूछकर अपनी जांच को आगे बढ़ा सकती है। वैसे भी महोदय के अनुसार ईडी का स्ट्राइक रेट 6 प्रतिशत है और उन्हें लगता होगा कि छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले का मामला उन 94 प्रतिशत में आयेगा जहां ईडी फेल होती है।

प्लान्टेड खबरें

पिछली सरकार की जेल में बंद मोहतरमा ने खबरें प्लाण्ट करने के लिए अनुभवहीन और रबर स्टैम्प अधिकारी को सरकार के प्रचार विभाग का सेकेण्ड इन कमाण्ड बनाकर रखा था। उसने अपने चाटुकारों की फौज तैयार की थी जिन्हें पहले वो ब्रेकिंग, ब्रेकिंग की पहली लाइन औऱ दूसरी लाइन क्या होगी बताते थे , फिर वही सब चाटुकार ट्वीट करते थे रायपुर से लेकर दिल्ली तक , जिन्हें मासिक पेमेन्ट मिलता था। प्रचार विभाग ने अपने चाटुकारों को ट्वीटर पर पैसा खर्च करके ब्लू टिक भी दिलवाये थे। अब साहब सरकार से बाहर हैं तो बता रहे हैं कि ईडी खबरें प्लाण्ट करवाती है। तो आपकी सरकार में आपके ही प्रदेशाध्यक्ष के खिलाफ कौन खबरें प्लाण्ट करवाता था, कौन प्रदेश के प्रथम उप-मुख्यमंत्री के खिलाफ खबरें और पार्टी के अंदर ही उनके विरोधी नेता की खबरों को प्रमोट करवाता था। कैसे एक राष्ट्रीय चैनल का पत्रकार वीडियो बनाकर बताता था कि मोहतरमा के घर आईटी के छापे में कुछ हजार रुपये ही मिले हैं। पत्रकार को ड्रग्स रखवाकर गिरफ्तार करवाकर उसके पूर्व नियोक्ता से झूठी रिपोर्ट करवाकर कैसे मीडिया में प्लाण्ट करवायी जाती थी। कहने का सार है कि जाकी रखी भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।

भ्रष्टाचार की माला

केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री ने अच्छी सोच के साथ भारत-माला परियोजना शुरु की थी, लेकिन छत्तीसगढ़ के कुछ धुरंधरों ने उसे मुआवजे के नाम पर भ्रष्टाचार की माला में कन्वर्ट कर दिया। सरकार ने फौरी तौर पर राज्य-सेवा के अधिकारियों और तहसीलदारों पर गाज गिरायी है। लेकिन एक जमीन के 10-10, 12-12 टुकड़े करके 34 करोड़ रुपये को दो सौ करोड़ रुपये से अधिक करने का कारनामा करना इन अधिकारियों के बस की बात नहीं है जब तक कि इस मामले में बड़े अधिकारी ना शामिल हों। हालांकि भ्रष्टाचारियों ने घोटाला भी ईमानदारी के साथ किया है यानी कि जिस किसान की जमीन थी उसे उसके हिस्से का मुआवजा तो मिला ही और फिर उसके कई टुकड़े करके बैंक से साथ मिली-भगत करके मुआवजे की रकम को दस गुना बढ़ाकर कई सौ करोड़ रुपय़े में बदल दिया गया है। ऐसी जानकारी आ रही है कि इस घोटाले में जेल में बंद एक आईएएस लाभार्थी के रुप और तीन आईएएस भी घोटाले को अंजाम देने में शामिल हो सकते हैं । हालांकि जिन तीन आईएएस अधिकारियों के नाम सुनाई में आ रहे हैं उनकी ऐसी छवि नहीं है कि किसी घोटाले को अंजाम दें। इस घोटाले की रिपोर्ट की आड़ में सत्ताधारी दल के दो नेताओं के पास पैसा पहुंचने की बात भी कही जा रही है। जिनके पास कथित रुप से घोटाले की रिपोर्ट हैं। भले ही मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी गयी हो लेकिन ये मामला कम से कम सीबीआई जांच तो डिजर्व करता है। इस मामले ने रायगढ़ के जमीन मुआवजा घोटाले की यादें ताजा कर दी हैं।

मंत्रियों की फजीहत

प्रदेश के तीन मंत्री ऐसे हैं जिनकी किसी ना किसी कारण से लगातार फजीहत हो रही है। दो मंत्रियों की तो अपने विभागों के कारनामों और घोटालों के कारण विधानसभा के बजट सत्र में लगभग रोज ही फजीहत होती रहती है। दोनों मंत्री नये हैं इनमें से एक तो पहली बार के विधायक हैं। उनकी स्थिति तो मंदिर के घंटे जैसी हो गयी है जिसे, जो चाहे वो बजा रहा है। चाहे वो उनकी पार्टी का हो या विपक्ष का। एक दूसरी बार के विधायक हैं तो स्थिति को थोड़ा सम्हालना आता है। लेकिन दोनों की अलग-अलग कारणों से इमेज खराब हो रही है। इनके अलावा एक और मंत्री जी हैं जो बोलते तो कम हैं लेकिन ऐसा बयान दे दिया कि पार्टी ने नोटिस जारी कर 48 घंटे में जबाव मांग लिया। ऐसा शायद छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार हुआ होगा कि सत्ताधारी दल के संगठन ने सरकार के मंत्री से जबाव मांगा है वो भी मीडिया में नोटिस जारी करके।

अरुण-ओ पी का डांस

उप-मुख्यमंत्री अरुण साव अच्छा डांस कर लेते हैं। नगरीय निकाय चुनाव के समय उनके डांस का वीडियो वायरल हुआ था फिर प्रेस क्लब रायपुर के होली-मिलन में भी अरुण साव ने ना सिर्फ बेहतरीन डांस किया बल्कि सीएम विष्णुदेव साय को भी थिरकने पर मजबूर कर दिया। वैसे ही मुख्यमंत्री औऱ उप-मुख्यमंत्री साव के बीच अच्छी कैमिस्ट्री है ,जो मंच पर भी दिखने को मिली। उधर वित्त मंत्री ओ पी ने भी होली के मौके पर अपने निर्वाचन क्षेत्र में पत्नी के साथ ठुमके लगाए । ओपी और उनकी पत्नी के डांस का वीडियो भी काफी वायरल हो रहा है।

साढ़े चार करोड़ का राज

राजधानी रायपुर में एक इनोवा कार में साढे चार करोड़ रुपये मिले हैं। जिस कार में रुपये मिले उसमें पीछे डिक्की में बाकायदा चैम्बर बनाकर रुपये रखने की व्यवस्था की गयी थी। पुलिस के पकड़ने से पहले कार लगातार राजधानी में चार घंटे तक घूमती रही। पहली बार चेकिंग में पुलिस को कुछ नहीं मिला लेकिन सूत्र ने वो जगह बता दी जहां पैसा रखा गया था। पैसे के बारे में कहा जा रहा है पहले मुम्बई से कच्चा सोना रात की ट्रेन से उतारता था लेकिन ज्यादा हल्ला मचने से तस्करों से अपने काम का तरीका बदलकर सड़क-मार्ग से सोना लाना शुरु किया है। छत्तीसगढ़ पहुंचने वाले सोने के कलेक्शन का पैसा भी सड़क मार्ग से ही मुम्बई जाता है। लेकिन मुखबिरी के कारण इस बार रकम पकड़ में आ गयी। सवाल ये है कि आखिर सोने की तस्करी करने वालों तक पुलिस कब पहुंचेगी और कब तस्करों को बेनकाब करेगी।

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